Home2011October (Page 31)

राजकुमार असमंजस के पिता महाराज सगर थे| सगर महान् धार्मिक थे| उन्होंने जीवन में एक बार भी अधर्म का आचरण नहीं किया था| उन्होंने पुत्र की प्राप्ति के लिये परमसमाधि के द्वारा भगवान् की आराधना की थी| इससे प्रसन्न होकर महर्षि और्व ने उन्हें दो प्रकार के पुत्र होने का वरदान दिया|

अकबर के वजीर अबुल फजल ने एक बार बीरबल को नीचा दिखाने के उद्देश्य से बादशाह अकबर के सामने ही बीरबल से कहा – “बीरबल! बादशाह सलामत ने तुम्हें अब कुत्तों और सूअरों का वजीर नियुक्त किया है|”

एक बार एक गीदड़ उस जंगल में चला गया जहां दो सेनाएं युद्ध कर रही थी| दोनों सेनाओं के मध्य क्षेत्र में एक नगाड़ा रखा था| गीदड़ बेचारा कई दिनों से भूखा था नगाड़े को ऊँचे स्थान पर रखा देखकर वह कुछ देर के लिये रूका|

प्रभु के भक्तों की अनेक कथाएं हैं, सुनते-सुनते आयु बीत जाती है पर कथाएं समाप्त नहीं होतीं| सुदामा श्री कृष्ण जी के बालसखा हुए हैं| उनके बाबत भाई गुरदास जी ने एक पउड़ी उच्चारण की है|