अध्याय 39
1 अर्जुन उवाच
ये शास्त्रविधिम उत्सृज्य यजन्ते शरद्धयान्विताः
तेषां निष्ठा तु का कृष्ण सत्त्वम आहॊ रजस तमः
1 अर्जुन उवाच
ये शास्त्रविधिम उत्सृज्य यजन्ते शरद्धयान्विताः
तेषां निष्ठा तु का कृष्ण सत्त्वम आहॊ रजस तमः
“Sanjaya said, ‘When three-fourths of that night had worn away, thebattle, O king, once more commenced between the Kurus and the Pandavas.Both sides were elated with joy.
1 [स]
शरुत्वा कर्णं कल्यम उदारवीर्यं; करुद्धः पार्थः फल्गुनस्यामितौजाः
धनंजयं वाक्यम उवाच चेदं; युधिष्ठिरः कर्ण शराभितप्तः
“Vaisampayana said, “Endued with mighty energy and possessed of greatdiscernment, Drona then said, ‘Persons like the sons of Pandu neverperish nor undergo discomfiture.
संतोषी माता को हिन्दू धरम मे संतोष, सुख, शांति और वैभव की माता के रूप मे पूजा जाता है| ऐसा माना जाता है की माता संतोषी भगवान् श्री गणेश की पुत्री हैं| संतोषी नाम संतोष से बना है| संतोष का हमारे जीवन मे बहुत महत्व है| अगर जीवन मे संतोष न हो तो इन्सान मानसिक और शारीरिक तोर पर बेहद कमजोर हो जाता है| संतोषी मां हमें संतोष दिला हमारे जीवन में खुशियों का प्रवाह करती हैं.
सियार की पत्नी को एक बार ताजा मछली खाने की इच्छा हुई| उससे मछली लाने का वादा करके सियार नदी की ओर बढ़ चला|
पूजा के अन्त में आरती की जाती है| पूजन में जो त्रुटि रह जाती है, आरती से उसकी पूर्ति होती है| पूजन मन्त्रहीन और क्रियाहीन होने पर भी आरती कर लेने से उसमें सारी पूर्णता आ जाती है| आरती करने का ही नहीं, आरती देखने का भी बड़ा पुण्य होता है| जो धूप और आरती को देखता है और दोनों हाथों से आरती लेता है, वह समस्त पीदियों का उद्धार करता है और भगवान् विष्णु के परमपत को प्राप्त होता है|
Vaisampayana said,–“that heroic and foremost of the Pandavas endued withgreat energy, crossing the White mountains, subjugated the country of theLimpurushas ruled by Durmaputra, after a collision involving a greatslaughter of Kshatriyas, and brought the region under his complete sway.
ग्वार, लेग्युमिनेसी कुल की, खरीफ ऋतु में उगाई जाने वाली एकवर्षीय फसल है। पशुओं को ग्वार खिलाने से उनमें ताकत आती है तथा दूधारू पशुओं कि दूध देने की क्षमता में बढोतरी होती है। ग्वार फली से स्वादिष्ट तरकारी बनाई जाती है। ग्वार फली को आलू के साथ प्याज में छोंक लगाकर खाने पर यह बहुत स्वाद लगती है तथा अन्य सब्जियों के साथ मिलाकर भी बनाया जाता है जैसे दाल में, सूप बनाने में पुलाव इत्यादि में।
एक लड़का था| माँ ने उसका विवाह कर दिया| परन्तु वह कुछ कमाता नहीं था| माँ जब भी उसको रोटी परोसती थी, तब वह कहती कि बेटा, ठण्डी रोटी खा लो| लड़के की समझ में नहीं आया कि माँ ऐसा क्यों कहती है|