Home2011October (Page 23)

नुस्खा – सोंठ, कालीमिर्च, पीपल, अजवायन, सेंधा नमक, काला तथा सादा जीरा 10-10 ग्राम और हींग 2 ग्राम – सभी चीजों को अच्छी तरह कूट-पीसकर कपड़छन करके शीशी में भर लें|

एक जंगल में कुछ बदमाशों की दावत चल रही थी| उनमें से एक न डींग हांकी कि इतनी रात गए भी मैं माँस ला सकता हूँ| फिर वह माँस विक्रेता की दुकान पर गया और बोला, ‘मुझे कुछ माँस चाहिए, मिलेगा?’

गांवों में पपीते का पेड़ घर-घर में देखने को मिल जाता है| पपीते का फल लम्बा होता है| कच्चे पपीते के दूध से ‘पेपन’ नामक पदार्थ बनाया जाता है| पपीते का फल, बीज और पत्ते विभिन्न प्रकार के रोगों में काम आते हैं|

एक गाँव में एक ठाकुर थे| उनके कुटुम्ब में कोई आदमी नहीं बचा, केवल एक लड़का रह गया| वह ठाकुर के घर काम करने लग गया| रोजाना सुबह वह बछड़े चराने जाता था और लौटकर आता तो रोटी खा लेता था|

पान अत्यन्त चरपरा, कटु, क्षारयुक्त एवं मधुर होता है| इसकी उपस्थिति में वात, कफ एवं कृमियों को विदा लेनी पड़ती है| मुंह की दुर्गन्ध को यह दूर करता है| बाजीकरण है, धारण-शक्ति एवं काम-शक्ति को बढ़ाता है| यह जितना पुराना होता है, उतना ही श्रेष्ठ माना जाता है| पान खाने से शारीरिक एवं मानसिक थकान दूर हो जाती है| पान के चबाने एवं चूसने पर लार की मात्रा अधिक निकलती है, जिससे पाचन-क्रिया में सहायता मिलती है| इससे प्यास और भूख भी शान्त हो जाती है तथा निम्न रोगों में भी यह बहुत लाभकारी है|

तू ही माता तू ही पिता है, तू ही माता तू ही पिता है
तू ही तोह है राधा का श्याम साई राम साई श्याम