Home2011October (Page 19)

“Dhritarashtra said, ‘O holy one, I did not like this business ofgambling, but, O Muni, I think, I was made to consent to it drawn byfate! Neither Bhishma, nor Drona, nor Vidura, nor Gandhari liked thisgame at dice. No doubt, it was begot of folly. And, O thou who delightestin the observance of vows, O illustrious one, knowing everything yetinfluenced by paternal affection, I am unable to cast off my senselessson, Duryodhana!’

बात काफ़ी पुरानी है…गणेशपुर नरेश ब्रहमदत का राजपंडित एक बार वन में एकांत स्थान पर कोई गुप्त मंत्र जप रहा था| तभी वहीं पास लेटे एक सियार के कान खड़े हो गए, वह भी ध्यान से सुनने लगा| कुछ देर बाद राजपंडित खड़ा हुआ और बोला, ‘बस, मुझे मंत्र सिद्ध हो गया|

एक जंगल में गीदड़ रहता था| उसे एक बार कही से मरा हुआ| हाथी नजर आ गया| वह उसके चारों ओर घूमता रहा| किन्तु उसकी सख्त खाल को फाड़ न पाया, उसी समय उधर से कहीं एक घूमता हुआ शेर आ गया| उस गीदड़ ने शेर के आगे सिर झुकाकर कहा, महाराज यह आपका शिकार है| मैं कल से खड़ा इसकी रक्षा कर रहा हूं|