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भगवान् शंकर के अवतारों मे भैरव जी का अपना ही एक विशिष्ट स्थान है| भ – से विशव का भरण, र – से रमेश, व् – व् से वमन , अर्थात सृष्टि की उत्पत्ति, पालन और सहांर करने वाले शिव ही भैरव हैं| भैरव यंत्र की बहुत विशेषता मानी गई है, भैरव साधना अकाल मौत से बचाती है, तथा भूत प्रेत, काले जादू से भी हमारी रक्षा करता है|

संभवतया सीताफल उतना ही विख्यात है, जितना कि सीता का नाम| वानरों का यह प्रिय फल है, इसका साग पूड़ियों के साथ अत्यंत स्वादिष्ट लगता है| आधुनिक साँस बनाने में भी इसका पयोग किया जाता है| यह तृप्तिजनक है, बलवर्धक है| रस-मधुर है| हृदय को हितकारी है| वात-कफ का कारक है, किन्तु पित्त का नाशक है|

एक राजा था| उसके पास एक बहुरुपिया आया| वह तरह-तरह के स्वाँग धारण किया करता था| उसमें देवी की एक ऐसी शक्ति थी कि वह जो भी स्वाँग धारण करता, उसको पूरा वैसा-का-वैसा निभाता था| उसमें वह कहीं चुकता नहीं था|