अध्याय 87
1 [धौम्य]
अवन्तिषु परतीच्यां वै कीर्तयिष्यामि ते दिशि
यानि तत्र पवित्राणि पुण्यान्य आयतनानि च
1 [धौम्य]
अवन्तिषु परतीच्यां वै कीर्तयिष्यामि ते दिशि
यानि तत्र पवित्राणि पुण्यान्य आयतनानि च
1 [गुरु]
दुरन्तेष्व इन्द्रियार्थेषु सक्ताः सीदन्ति जन्तवः
ये तव असक्ता महात्मानस ते यान्ति परमां गतिम
“Yudhishthira said, ‘I desire thee, O grandsire, to tell me what theordinances are that have been laid down by the acts touching the deitiesand the (deceased) ancestors on occasions of Sraddhas.’
कुछ बदमाश एक पेड़ पर टकटकी लगाए रहते थे, जिस पर ज़हरीले फल आते थे| आम जैसे उन फलों को खाकर जो व्यक्ति मर जाता था, उसका सामान ये बदमाश आपस में बाँट लेते थे|
शिव को देवों के देव कहते हैं, इन्हें महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ के नाम से भी जाना जाता है। तंत्र साधना में इन्हे भैरव के नाम से भी जाना जाता है | हिन्दू धर्म के प्रमुख देवताओं में से हैं। वेद में इनका नाम रुद्र है। यह व्यक्ति की चेतना के अन्तर्यामी हैं। और उनकी पूजा शिवलिंग तथा मूर्ति दोनों रूपों में की जाती है।
श्वसन-संस्थान से सम्बंधित एक भयावह रोग दमा या अस्थमा है| यह श्वास नली का रोग है| श्वास नली में सूजन हो जाने से यह रोग भुक्त भोगी को चैन से नहीं बैठने देता|
“Bhishma continued, ‘Having said these words unto the Salmali. thatforemost of all persons conversant with Brahma, viz., Narada, representedunto the god of the wind all that the Salmali had said about him.’
अली के एक गांव में एक युवक रहता था जिसका नाम था अली| अली बढ़ई का कम करता था| गांव के सब लोग उसे बहुत प्यार करते थे| वह छोटा-सा था, तभी उसके माता-पिता की मृत्यु हो गई थी| इसलिए वह अकेला ही रहता था|
1 [स]
वयुष्टां निशां भारत भारतानाम; अनीकिनिनां परमुखे महात्मा
ययौ सपत्नान परति जातकॊपॊ; वृतः समग्रेण बलेन भीष्मः
इसमें विटामिन-बी होता है| तेल की आवश्यकता पूर्ति के लिए यह संसार भर में दूसरे नम्बर की वस्तु है| हेमोफिलिया एक भयानक और जानलेवा रोग है, जिसमें रक्त के भीतर जमने की शक्ति नहीं रहती| तनिक-सी भी खरास या रगड़ लग जाने से इतना रक्तस्त्राव होता है कि रोग की मृत्यु निश्चित हो जाती है|