जंगल का न्याय
त्रिपुरा के जंगलो में एक शुकरी रहती थी| अपने बच्चो के साथ, शुकरी खुशी-खुशी दिन बिता रही थी| एक दिन जंगल में अपने बच्चों के लिए भोजन ढूढ़ते हुए, उसने एक बाघ के बच्चे के रोते हुए देखा|
त्रिपुरा के जंगलो में एक शुकरी रहती थी| अपने बच्चो के साथ, शुकरी खुशी-खुशी दिन बिता रही थी| एक दिन जंगल में अपने बच्चों के लिए भोजन ढूढ़ते हुए, उसने एक बाघ के बच्चे के रोते हुए देखा|
([This where is the Bhagavad Gita proper starts. I have added the chapterheadings to aid in comparison with other translations, they are not partof the original Ganguli text.–John Bruno Hare])
“Vaisampayana said, ‘Having vanquished the Kurus in battle, that one witheyes like those of a bull brought back that profuse cattle wealth ofVirata.
एक महात्मा रात-दिन एक जंगल में साधना करते रहते थे। एक दिन उस राज्य का राजा उस जंगल में कहीं से घूमता हुआ पहुंचा। एक निर्जन स्थान पर महात्मा जी को भक्ति में लीन देखकर वह सोचने लगा कि यह आखिर कैसे गर्मी, सर्दी, बरसात और हर तरह के कष्ट सहते हुए अपने लक्ष्य को साधने में लगे हुए हैं?
Draupadi said,–‘Wait a little, thou worst of men, thou wicked-mindedDussasana. I have an act to perform–a high duty that hath not beenperformed by me yet. Dragged forcibly by this wretch’s strong arms, I wasdeprived of my senses. I salute these reverend seniors in this assemblyof the Kurus. That I could not do this before cannot be my fault.'”
चिन्ता से भरा दिल सांई को देदे
तुझे दौनौं जहां का सुख चैन मिलेगा
चिन्ता से भरा दिल सांई को देदे
“‘Duryodhana said, “Even thus did that illustrious Deity, that Grandsireof all the worlds, viz., Brahman, act as driver on that occasion and eventhus did Rudra become the warrior.