अध्याय 7
1 [धृ]
सेनापत्यं तु संप्राप्य कर्णॊ वैकर्तनस तदा
तथॊक्तश च सवयं राज्ञा सनिग्धं भरातृसमं वचः
1 [धृ]
सेनापत्यं तु संप्राप्य कर्णॊ वैकर्तनस तदा
तथॊक्तश च सवयं राज्ञा सनिग्धं भरातृसमं वचः
“‘Duryodhana said, “This one, O Karna, will act as thy driver, this rulerof the Madras, who is superior to Krishna, like Matali the driver of thechief of the celestials.
हर्र के नाम से सभी परिचित हैं| इसे हरड़ भी कहते हैं| इसमें इतने गुण हैं कि हमारे पूर्वजों और वैद्यों ने इसके अनेक नाम रख दिए हैं, जैसे – विजया, रोहिणी, जीवन्ती, कल्याणी, पूतना, हरीतिकी आदि|
गांधीजी का जन्म-दिन सादगी के साथ मनाया जाता था| एक बार सेवाग्राम में जब उनका जन्म-दिन मनाया गया तो आश्रम के भाई-बहनों के अलावा इधर-उधर के भी काफी लोग जमा हो गए|
“Yudhishthira said, ‘O grandsire, O wisest of men, O thou that artlearned in all the scriptures, I have listened to this great story, Oforemost of intelligent men.
“Yudhishthira said, ‘If any person, desiring to accomplish acts (ofcharity and sacrifices), fails to find (the necessary) wealth, and thirstof wealth overwhelms him, what is that which he must do for obtaininghappiness?’
1 संजय उवाच
तथा परवृत्ते संग्रामे निवृत्ते च सुशर्मणि
परभग्नेषु च वीरेषु पाण्डवेन महात्मना