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भूदान- यज्ञ के दिनों की बात है| विनोबाजी की पद-यात्रा उत्तर प्रदेश में चल रही थी| उनके साथ बहुत थोड़े लोग थे| मीराबहन के आश्रम ‘पशुलोक’ से हम हरिद्वार आ रहे थे| विनोबाजी की कमर और पैर में चोट लगी थी, उन्हें कुर्सी पर ले जाया जाता था, पर बीच-बीच में वे कुर्सी से उतरकर पैदल चलने लगते थे|

एक बार की बात है| एक लड़का था| अक्ल के मामले में थोड़ा-सा कमजोर| एक दिन खेत से लौटते समय उसने एक आदमी को एक गधी लेकर जाते हुए देखा| लड़के को गधी बहुत अच्छी लगी| उसने मालिक से पूछा, “तुम इस गधी को कितने में बेचोगे? मै इसे खरीदना चाहता हूं|”

जहांगीर के राज्य में चंदूशाह नाम का एक सेठ था। उसने सिख गुरु अर्जुन देव के समक्ष प्रस्ताव रखा कि वे अपने पुत्र हरगोविंद का विवाह उसकी पुत्री के साथ कर दें। गुरु अर्जुन देव ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। इस पर वह नाराज हो गया और बदले का अवसर खोजने लगा।