आखिरकार चींटी का मुंह खारा का खारा ही रहा
दो चींटियां आपस में बातें कर रही थीं। एक ने कहा- बस मुझे एक ही कष्ट है कि मेरा मुंह हर समय खारा ही रहता है। यह सुन दूसरी चींटी ने उसे मीठा पदार्थ खाने को दिया, लेकिन फिर भी उसका कष्ट दूर नहीं हुआ।
दो चींटियां आपस में बातें कर रही थीं। एक ने कहा- बस मुझे एक ही कष्ट है कि मेरा मुंह हर समय खारा ही रहता है। यह सुन दूसरी चींटी ने उसे मीठा पदार्थ खाने को दिया, लेकिन फिर भी उसका कष्ट दूर नहीं हुआ।
“Vyasa said,–‘Asses are taking births in kine. Some are having sexualpleasure with mothers. The trees in the forests are exhibitingunseasonable flowers and fruits.
“Vaisampayana said, ‘Making Uttara his charioteer, and circumambulatingthe Sami tree, the son of Pandu set out taking all his weapons with him.
Vaisampayana said,–“when that foremost of sacrifices, the Rajasuya sodifficult of accomplishment, was completed, Vyasa surrounded by hisdisciples presented himself before Yudhishthira.
भगवती अन्नपूर्ण काशीपुरी में आ चुकी थीं| यहीं पर उन्होंने भगवान् शंकर से पूछा-‘भगवन् आप अपने भक्तों को किस उपाय से दर्शन देते हैं और उनके वश में हो जाते हैं?’
“Sanjaya said, ‘Then Duryodhana, O chief of Bharatas, repairing to Karna,said unto him as also unto the ruler of the Madras and the other lords ofEarth present there, these words, “Without seeking hath this occasionarrived, when the gates of heaven have become wide open.
हजरत उमर के जमाने की बात है| एक बार उनके शहर में आग लग गई| आग इतने जोरों की लगी थी कि उसने शहर का बहुत बड़ा हिस्सा जला डाला| पानी से भी वह नहीं बुझी|