अध्याय 18
1 [वा]
एवम उक्त्वा रौक्मिणेयॊ यादवान भरतर्षभ
दंशितैर हरिभिर युक्तं रथम आस्थाय काञ्चनम
किसी गांव में एक ब्राह्मण रहता था| उसके पास खेती-बाड़ी के लिए जमीन थी, लेकिन उस जमीन पर फसल अच्छी नहीं होती थी| बेचारा परेशान था|
“Yudhishthira said, ‘O thou that knowest the truths of religion, I wishto hear of the merits of compassion, and of the characteristics of devoutmen. Do thou, O sire, describe them to me.’
“YUDHISHTHIRA SAID, ‘THOU hast, O grandsire, discoursed upon theauspicious duties (of person in distress) connected with the duties ofkings. It behoveth thee now, O king, to tell me those foremost of dutieswhich belong to those who lead the (four) modes of life.’
यह पचने में हल्की और रुक्षताकारक होती है| इसका प्रभाव शीतल होने से यह पित्तनाशक मानी गयी है| इससे शरीर तथा पेट की जलन शांत होती है| छिलके युक्त मूंग की दाल नेत्रों के लिए बहुत ही हितकर होती है| इसे साबुत, छिलके वाली तथा छिलका रहित प्रयोग किया जाता है| सभी प्रकार के ज्वरों में साबुत मूंग या मूंग की दाल का प्रयोग आहार के रूप में किया जाता है|
प्राचीन कल की बात है, बहूदक नामक तीर्थ में नन्दभद्र नाम के एक वैश्य रहते थे| वे वर्णाश्रम-धर्म का पालन करने वाले सदाचारी पुरुष थे| उनकी धर्मपत्नी का नाम कनका था|
Sanjaya said,–“Then, O bull of Bharata’s race, king Yudhishthira,disposing his own troops in counter array against the divisions ofBhishma, urged them on, saying
“Vaisampayana said, ‘Then while a great havoc was being made among theKurus, Santanu’s son, Bhishma, and grandsire of the Bharatas rushed at