अध्याय 54
1 [स]
ततस ते पार्थिवाः करुद्धाः फल्गुनं वीक्ष्य संयुगे
रथैर अनेकसाहस्रैः समन्तात पर्यवारयन
1 [स]
ततस ते पार्थिवाः करुद्धाः फल्गुनं वीक्ष्य संयुगे
रथैर अनेकसाहस्रैः समन्तात पर्यवारयन
शाम से ही मंदिर में भीड़ लगी हुई थी। मंदिर के बाहर जनसमुदाय उमड़ पड़ा था। भीड़ को नियंत्रण में रखने के लिए तथा जनता के जानमाल की रक्षा के लिए कई पुलिस कांस्टेबल भाग-दौड़ रहे थे।
Vaisampayana said,–“Seeing then the two armies (standing) on the eastand the west for the fierce battle that was impending, the holy RishiVyasa, the son of
“Uttara said, ‘O hero, mounting on this large car with myself as driver,which division of the (hostile) army wouldst thou penetrate? Commanded bythee, I would drive thee thither?’
“Vaisampayana said,–Hearing these words of Bhishma, the ruler of Chediendued with exceeding prowess, desirous of combating with Vasudevaaddressed him and said,–O Janarddana, I challenge thee. Come, fight withme until I slay thee today with all the Pandavas.
प्राचीन काल में भुवनेश नाम का एक धार्मिक राजा हुआ था| उसने हजार अश्वमेघ और दस सहस्त्र वाजपेय यज्ञ किये थे तथा लाखों गायों का दान किया था|
1 [स]
मद्राधिपस्याधिरथिस तदैवं; वचॊ निशम्याप्रियम अप्रतीतः
उवाच शल्यं विदितं ममैतद; यथाविधाव अर्जुन वासुदेवौ
“Sanjaya said, ‘Thus raged that great battle between those lords of Earthwhen Arjuna and Karna and Bhimasena, the son of Pandu became angry.
गनिका एक वेश्या थी जो शहर के एक बाजार में रहती थी| वह सदा पाप कर्म में कार्यरत रहती थी| उसके रूप और यौवन सब बाजार में बिकते रहते थे| वह मंदे कर्म करके पापों की गठरी बांधती जा रही थी|