अध्याय 141
1 [य]
अन्तर्हितानि भूतानि रक्षांसि बलवन्ति च
अग्निना तपसा चैव शक्यं गन्तुं वृकॊदर
एक स्त्री थी| उसकी आंखें चली गईं| पहले एक गई, फिर दूसरी| वह बहुत परेशान रहने लगी| पति अपनी अंधी पत्नी का बोझ कब तक उठाता! वह उससे अलग रहने लगा| उसकी छोटी लड़की ने भी उससे मुंह मोड़ लिया|
“Yudhishthira said, ‘After doing what acts does a man become liable toperform expiation? And what are those acts which he must do for beingfreed from sin? Tell me this, O grandsire.’
पुरुष द्वारा स्त्री को संतुष्ट किए बिना उद्वेग के चरम क्षणों में स्खलित हो जाना, शीघ्रपतन कहलाता है| इसका मुख्य कारण हीन भावना तथा आत्मविश्वास की कमी होता है| ऐसे व्यक्ति को मन में कामुकता का विचार नहीं रखना चाहिए|
1 [वि]
यॊ ऽभयर्थितः सद्भिर असज्जमानः; करॊत्य अर्थं शक्तिम अहापयित्वा
कषिप्रं यशस तं समुपैति सन्तम अलं; परसन्ना हि सुखाय सन्तः
“Markandeya said, ‘And while those troops (thus withdrawn) were reposingthemselves in their quarters, many little Rakshasas and Pisachas owningRavana as their leader, penetrated amongst them.
कभी राम बनके कभी श्याम बनके चले आना प्रभुजी चले आना….
Dhritarashtra said,–“I regard destiny to be superior to exertion, OSanjaya, inasmuch as the army of my son is continually slaughtered by thearmy of the Pandavas.
सऊदी अरब में बुखारी नामक एक विद्वान रहते थे। वह अपनी ईमानदारी के लिए मशहूर थे। एक बार वह समुद्री जहाज से लंबी यात्रा पर निकले। उन्होंने सफर के खर्च के लिए एक हजार दीनार अपनी पोटली में बांध कर रख लिए। यात्रा के दौरान बुखारी की पहचान दूसरे यात्रियों से हुई। बुखारी उन्हें ज्ञान की बातें बताते।
“Bhishma said, ‘I shall now tell thee what the means are (for conqueringthe senses) as seen with the eye of the scriptures. A person, O king,will attain to the highest end by the help of such knowledge and byframing his conduct accordingly. Amongst all living creatures man is saidto be the foremost.