सांई दया करना मेरे सांई कृपा करना
सांई दया करना मेरे सांई कृपा करना – 2
श्रद्वा और सबुरी सांई – 2
युद्ध के नौ दिन व्यतीत हो चुके थे| अनेक वीर अपने प्राण न्योछावर कर चुके थे| अभी ऐसा प्रतीत होता कि पांडवों की विजय होगी तो कभी लगता था कि कौरव अधिक शक्तिशाली थे|
“Dhritarashtra said, ‘Describe to me the battle of Arjuna with thesamsaptakas, and of the other kings with the Pandavas. Narrate to mealso, O Sanjaya, the battle of Arjuna with Ashvatthama, and of the otherlords of the Earth with Partha.’
1 [य]
धर्माः पितामहेनॊक्ता राजधर्माश्रिताः शुभाः
धर्मम आश्रमिणां शरेष्ठं वक्तुम अर्हसि पार्थिव
1 [ल]
ततः शरुत्वा तु शर्यातिर वयः सथं चयवनं कृतम
संहृष्टः सेनया सार्धम उपायाद भार्गवाश्रमम
कश्मीर की एक घटना है| हम लोग एक दिन शिकारे में बैठकर ‘डल’ झील में घूम रहे थे| हमारे शिकारे वाला बड़ा मौजी आदमी था| डांड चलाते-चलाते कोई तान छेड़ देता था, वह खूब जोर से गाता था| वह हमें तैरती खेती दिखाने ले गया| वह कमल के बड़े-बड़े पत्तों और फूलों के बीच घूमता हुआ उस जगह आया, जहां एक सुंदर लड़की तीर-सी पतली नाव पर बैठी अपने खेत देख रही थी|
“Yudhishthira said, ‘I am conversant with both the Vedas and thescriptures that lead to the attainment of Brahma.