Home2011July (Page 62)

शिबि अपनी त्याग बुद्धि के लिए बहुत प्रसिद्ध थे। उनकी त्याग भावना तात्कालिक और अस्थायी है या उनके स्वभाव का स्थायी गुण, इसकी परीक्षा करने के लिए इंद्र और अग्नि ने एक योजना बनायी।

परम भाग्यवती गोपियोंके सौभाग्यका वर्णन करना मन, वाणी और बुद्धिकी सीमासे परे हैं| जिस प्रकार भगवान् का लीला-शरीर और उनकी लीलाएँ प्राकृत नहीं हैं, उसी प्रकार गोपीप्रेम भी प्रकृतिकी सीमासे परे है|

भगवान् की प्रेम-लीलाकी सहयोगिनी कुछ गोपिकाएँ तो नित्यसिद्धा हैं| बहुत-सी गोपिकाएँ अपनी महान् साधनाके फलस्वरूप भगवान् की वाञ्छित सेवा करनेके लिये गोपीरूपमें अवतीर्ण हुई थीं| उनकी लालसा इतनी अनन्य थी, उनकी लगन इतनी सच्ची थी कि प्रेमरसमय भगवान् ने उन्हें सुख पहुँचानेके लिये माखनचोरी, चीरहरण और रासलीलाकी दिव्य लीलाएँ कीं| इन गोपियोंमें कुछ पूर्वजन्मकी देवकन्याएँ थीं, कुछ श्रुतियाँ थीं और कुछ तपस्वी ऋषि थे| 

हिंदू धर्म के अनुसार श्री कृष्ण जी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। श्री कृष्ण को पूर्णावतार भी कहा जाता है क्योंकि उनके मृत्यु लोक के सभी चरणों को भोगा है। मान्यता है कि भक्ति-भाव से भगवान कृष्ण की पूजा करने से सफलता, सुख और शांति की प्राप्ति होती है। कृष्ण जी को मक्खन बहुत पसंद होता है। श्री कृष्ण वंदना के लिए लोग “हरे कृष्णा हरे कृष्णा” का जाप करते हैं। साथ ही कृष्ण जी की आरती को भी बेहद महत्त्वपूर्ण माना जाता है।