अध्याय 67
1 [धृ]
कथं तवं माधवं वेत्थ सर्वलॊकमहेश्वरम
कथम एनं न वेदाहं तन ममाचक्ष्व संजय
बादशाह अकबर ने बीरबल से कहा – “बीरबल, किसी ऐसे व्यक्ति को मेरे सामने पेश करो जो सबसे अधिक बुद्धिमान हो?”
Sanjaya said,–“Approaching then thy son Chitrasena of great energy whohad thus been deprived of his car, thy son Vikarna caused him to mount onhis car.
“Vaisampayana said, ‘When night came, all those persons, having finishedtheir evening rites, approached Vyasa.
जब महाराज विराटने यह सुना कि उनके पुत्र उत्तरने समस्त कौरव-पक्षके योद्धाओंको पराजित करके अपनी गायोंको लौटा लिया है, तब वे आनन्दातिरेकमें अपने पुत्रकी प्रशंसा करने लगे|
“Sauti said, ‘O thou of ascetic wealth, soon after her lord had left her,Jaratkaru went to her brother. And she told him everything that hadhappened. And the prince of snakes, hearing the calamitous news, spakeunto his miserable sister, himself more miserable still.’
एक बार की बात है| एक माली ने एक बगीचे में गुलाब के फूल लगाए| फूल देखकर वहाँ एक बुलबुल आने लगी, वो उन्हें नोच लेती थी, माली ने बार-बार उसे भगाया, परंतु वह बार-बार आकर फूल नोच जाती थी|
महात्मा बुद्ध किसी उपवन में विश्राम कर रहे थे। तभी बच्चों का एक झुंड आया और पेड़ पर पत्थर मारकर आम गिराने लगा।
Yudhishthira said, “Why did that high-souled one give away a drona ofcorn? And, O eminently pious one, to whom and in what prescribed way didhe give it? Do thou tell me this.
इस ज्वर को फ्लू भी कहा जाता है| यह एक संक्रामक रोग है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को हो जाता है| इससे रोगी को काफी कष्ट होता है| यह रोग तीसरे, चौथे या सातवें दिन उतर जाता है|