सिंदबाद की चौथी यात्रा
इस बार भी वैसा ही हुआ, जैसे अक्सर मेरे साथ होता था| कुछ दिन घर पर बीवी-बच्चों के साथ गुजारने के बाद मेरे मन में फिर से सफ़र की हुड़क उठने लगी और दिल के हाथों मजबूर होकर मुझे अपनी चौथी यात्रा पर निकलना पड़ा|
इस बार भी वैसा ही हुआ, जैसे अक्सर मेरे साथ होता था| कुछ दिन घर पर बीवी-बच्चों के साथ गुजारने के बाद मेरे मन में फिर से सफ़र की हुड़क उठने लगी और दिल के हाथों मजबूर होकर मुझे अपनी चौथी यात्रा पर निकलना पड़ा|
“Vaisampayana said, ‘After the high-souled Pandavas had all been seated,Satyavati’s son Vyasa said,–O Dhritarashtra of mighty arms, hast thoubeen able to achieve penances? Is thy mind, O king, pleased with thyresidence in the woods?
“Sauti said, ‘Then the councillors beholding the king in the coils ofTakshaka, became pale with fear and wept in exceeding grief. And hearingthe roar of Takshaka, the ministers all fled. And as they were flyingaway in great grief, they saw Takshaka, the king of snakes, thatwonderful serpent, coursing through the blue sky like a streak of the hueof the lotus, and looking very much like the vermilion-coloured line on awoman’s crown dividing the dark masses of her hair in the middle.
एक व्यक्ति के बारे में यह विख्यात था कि उसको कभी क्रोध आता ही नहीं है। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें सिर्फ बुरी बातें ही सूझती हैं।
Vaisampayana said, “These great warriors of the race of Bharata sojournedlike immortals in the great forest of Kamyaka, employed in hunting andpleased with the sight of numerous wild tracts of country and widereaches of woodland, gorgeous with flowers blossoming in season.
“Dhritarashtra said, ‘When the Pandavas were broken by Bharadwaja’s sonin hat dreadful battle, and the Panchalas also, was there anybody thatapproached Drona for battle?
श्वेत प्रदर होने पर स्त्री की योनि से सफेद रंग का चिकना स्त्राव पतले या गाढ़े रूप में निकलने लगता है| इस प्रदर में तीक्ष्ण बदबू उत्पन्न होती है| ऐसे में दिमाग कमजोर होकर सिर चकराने लगता है| स्त्री को बड़ी बैचेनी एवं थकान महसूस होती है|
एक व्यापारी था| उसने व्यापार में खूब कमाई की| बड़े-बड़े मकान बनाए, नौकर-चाकर रखे, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि उसके दिन फिर गए| व्यापार में घाटा आया और वह एक-एक पैसे के लिए मोहताज हो गया| जब उसकी परेशानी सहन से बाहर हो गई, तब वह एक साधु के पास गया और रोते हुए बोला – “महाराज, मुझे कोई रास्ता बताइए, जिससे मुझे शांति मिले|”