अध्याय 57
1 [धृ]
कषत्रतेजा बरह्म चारी कौमाराद अपि पाण्डवः
तेन संयुगम एष्यन्ति मन्दा विलपतॊ मम
Sanjaya said, “Thou hast, O king, in consequence of thy own fault, beenovertaken by this calamity.
बादशाह अकबर को यह मालूम था कि आम बीरबल का प्रिय फल है| एक दिन जब वह सरोवर में नहा रहे थे तो उन्होंने बीरबल पर व्यंग्य करते हुए कहा – “बीरबल, तुम्हें मालूम है कि गधे आम नहीं खाते और ऐसे फल को तुम पसंद करते हो|”
“Vaisampayana said, ‘Those foremost of men, the heroic Pandavas,–thosedelighters of their mother–became exceedingly afflicted with grief.
मिस्त्र देश में एक बड़ा प्रतापी और न्यायप्रिय बादशाह था| वह इतना शक्तिशाली था की आस-पड़ोस के राजा उससे डरते थे| उसका मंत्री बड़ा कुशल, न्यायप्रिय और काव्य आदि कई-कई कलाओं और विद्याओं में पारंगत था| मंत्री के दो सुंदर पुत्र थे, जो उसी की भाँति गुणवान थे| बड़े का नाम शमसुद्दीन मुहम्मद था और छोटे का नाम नूरुद्दीन अली|
“Sauti said, ‘Hearing the respective speeches of all the snakes, andhearing also the words of Vasuki, Elapatra began to address them, saying,’That sacrifice is not one that can be prevented.
“Sanjaya said, ‘Beholding that army of thine exceedingly broken, thevaliant Vrishasena, single-handed, began to protect it, O king,displaying the illusion of his weapons.