Chapter 34
‘Sauti continued, ‘Garuda then said, ‘O Purandara, let there befriendship between thee and me as thou desirest.
‘Sauti continued, ‘Garuda then said, ‘O Purandara, let there befriendship between thee and me as thou desirest.
बगदाद के खलीफ़ा हारून रशीद एक दिन महल में उदास बैठे थे| तभी उनका वज़ीर जाफ़र किसी काम से वहाँ पहुँचा| बादशाह को चिंतित देखकर वह चुपचाप हाथ बाँधकर एक और खड़ा हो गया|
“Sanjaya said, ‘Yes, as I saw everything with my own eyes, I willdescribe to thee how Drona fell down, slain by the Pandavas and theSrinjayas.
1 [स]
दरुपदस्यात्मजान दृष्ट्वा कुन्तिभॊजसुतांस तथा
दरॊणपुत्रेण निहतान राक्षसांश च सहस्रशः
जब मनुष्य चौतरफा संकटों से घिर जाता है, उनसे निकलने का रास्ता तलाशने में वह विफल हो जाता है तब हनुमान जी की उपासना से बहुत लाभ मिलता है। विशेष रूप से उस समय संकट मोचक हनुमान अष्टक का पाठ बहुत उपयोगी व सहायक सिद्ध होता है।
संत रविदास का नाम शिरोमणि भगतों मे अंकित है| बचपन से ही समाज की बुराइयों को दूर करने के लिए यह सदा तत्पर रहे| इनके जीवन की छोटी छोटी घटनाओ से इनके जीवन का पता चलता है| समाज मे फैली छुआ-छूत, ऊँच-नीच दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई| बचपन से ही रविदास का झुकाव संत मत की तरफ रहा। वे सन्त कबीर के गुरूभाई थे। ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ यह उनकी पंक्तियाँ मनुष्य को बहुत कुछ सीखने का अवसर प्रदान करती है। ‘रविदास के पद’, ‘नारद भक्ति सूत्र’ और ‘रविदास की बानी’ उनके प्रमुख संग्रहों में से हैं।
1 [भीम]
पाण्डवॊ भीमसेनॊ ऽहं धर्मपुत्राद अनन्तरः
विशालां बदरीं पराप्तॊ भरातृभिः सह राक्षसाः
दिलबर संभल के नहु लाए,
पिच्छों पछोतावहिंगा|
जाणेंगा तूं तां,
जां रोइ रोइ हाल वजावेंगा|
किसी नगर में एक व्यापारी रहता था| व्यापारी ने अपने व्यापार से खूब कमाई की| जिससे उसकी तिजोरियां धन-दौलत से भर गईं| चारों ओर उसका नाम हो गया|