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बगदाद के खलीफ़ा हारून रशीद एक दिन महल में उदास बैठे थे| तभी उनका वज़ीर जाफ़र किसी काम से वहाँ पहुँचा| बादशाह को चिंतित देखकर वह चुपचाप हाथ बाँधकर एक और खड़ा हो गया|

जब मनुष्य चौतरफा संकटों से घिर जाता है, उनसे निकलने का रास्ता तलाशने में वह विफल हो जाता है तब हनुमान जी की उपासना से बहुत लाभ मिलता है। विशेष रूप से उस समय संकट मोचक हनुमान अष्टक का पाठ बहुत उपयोगी व सहायक सिद्ध होता है।

संत रविदास का नाम शिरोमणि भगतों मे अंकित है| बचपन से ही समाज की बुराइयों को दूर करने के लिए यह सदा तत्पर रहे| इनके जीवन की छोटी छोटी घटनाओ से इनके जीवन का पता चलता है| समाज मे फैली छुआ-छूत, ऊँच-नीच दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई| बचपन से ही रविदास का झुकाव संत मत की तरफ रहा। वे सन्त कबीर के गुरूभाई थे। ‘मन चंगा तो कठौती में गंगा’ यह उनकी पंक्तियाँ मनुष्य को बहुत कुछ सीखने का अवसर प्रदान करती है। ‘रविदास के पद’, ‘नारद भक्ति सूत्र’ और ‘रविदास की बानी’ उनके प्रमुख संग्रहों में से हैं। 

दिलबर संभल के नहु लाए,
पिच्छों पछोतावहिंगा|
जाणेंगा तूं तां,
जां रोइ रोइ हाल वजावेंगा|