Chapter 117
Sanjaya said, “Abhimanyu, O king, displaying his prowess for the sake ofBhishma, fought with thy son who was supported by a large force.
Sanjaya said, “Abhimanyu, O king, displaying his prowess for the sake ofBhishma, fought with thy son who was supported by a large force.
“Sukra continued, ‘Know, then, O Devayani, that he that mindeth not theevil speeches of others, conquereth everything! The wise say that he is atrue charioteer who without slackening holdeth tightly the reins of hishorses.
बद्रीनाथ मंदिर भगवान् विष्णु जी के रूप बद्रीनाथ को समर्पित है| हिन्दुओ के चार धाम मे से बद्रीनाथ को एक धाम मन गया है| इस मंदिर मे नर नारायण विग्रह की पूजा होती है | जो की अचल ज्ञान ज्योति का प्रतीक है| हर हिन्दू की यह कामना होती है की वो एक बार बद्रीनाथ की यात्रा जरुर करे| यहाँ पर शीत के कारन स्नान करना अति कठिन होता है|
“Markandeya continued, ‘Skanda was adorned with a golden amulet andwreath, and wore a crest and a crown of gold; his eyes weregolden-coloured, and he had a set of sharp teeth; he was dressed in a redgarment and looked very handsome;
प्रवचन करते हुए महात्मा जी कह रहे थे कि आज का प्राणी मोह-माया के जाल में इस प्रकार जकड़ गया है कि उसे आध्यात्मिक चिंतन के लिए अवकाश नहीं मिलता।
मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा नगर है| वहाँ एक रेलवे-क्रासिंग पर रेलगाड़ी गुजरने का समय हो गया था| दोनों ओर के फाटक बंद कर दिये गए थे
एक राजा घोड़े पर सवार होकर जा रहा था| रास्ते में उसने एक बूढ़े व्यक्ति को आम का नन्हा पौधा रोपते हुए देखा| उसने सोचा कि इस बूढ़े को उस पेड़ से क्या लाभ|
1 [वै]
शरुत्वा बहुविधैः शब्दैर नाद्यमाना गिरे गुहाः
अजातशत्रुः कौन्तेयॊ माद्रीपुत्राव उभाव अपि