अध्याय 109
1 [ज]
कथितॊ धार्तराष्ट्राणाम आर्षः संभव उत्तमः
अमानुषॊ मानुषाणां भवता बरह्म वित्तम
Sanjaya said, “Hearing these words of the high-souled Drona, Bhagadattaand Kripa and Salya and Kritavarman, and Vinda and Anuvinda of
पेट में मन्दाग्नि के कारण एक रोग उत्पन्न हो जाता है जो ‘गैस बनने’ के नाम से प्रसिद्ध है| यह रोग कोष्ठ के मार्ग से बनकर रोगी को परेशान करता है| मुख से लेकर गुदा तक का मार्ग कोष्ठ माना जाता है|
“Janamejaya said, ‘O thou of the wealth of asceticism, tell me how ourancestor Yayati, who is the tenth from Prajapati, obtained for a wife theunobtainable daughter of Sukra. I desire to hear of it in detail. Tell mealso, one after another, of those monarchs separately who were thefounders of dynasties.’
Vaisampayana said, “After those Brahmanas and the illustrious sons ofPandu had taken their seats, Draupadi and Satyabhama entered thehermitage. And with hearts full of joy the two ladies laughed merrily andseated themselves at their ease.
एक बार ब्रह्माजी दुविधा में पड़ गए। लोगों की बढ़ती साधना वृत्ति से वह प्रसन्न तो थे पर इससे उन्हें व्यावहारिक मुश्किलें आ रही थीं।
एक बार श्रीकृष्ण विदुर से मिलने हस्तिनापुर गये| विदुर घर में थे नहीं| उनकी पत्नी थी| कृष्ण ने चरण छुए| वे गद्गद् विह्वल हो गयी| उन्हें कुछ सुझा नहीं कि वे क्या करे? कहाँ बैठावें? वे तेजी से अन्दर गयीं| झटपट कुछ केले लेकर लौटीं|