अध्याय 199
1 [मार्क]
स तु विप्रम अथॊवाच धर्मव्याधॊ युधिष्ठिर
यद अहं हय आचरे कर्म घॊरम एतद असंशयम
जब एक चीनी यात्री भारत से वापस जा रहा था, उसे उपहारस्वरूप भोजपत्र पर लिखी हजारों पुस्तकें भेट की गयी| एक छोटे जहाज पर उसे लाद दिया गया| जहाजियों के अतिरिक्त भारत के पन्द्रह युवा तपस्वी भी जा रहे थे, जिन्होंने अभी-अभी अपनी शिक्षा पूरी की थी|
श्री राम चालीसा, भगवान श्रीराम के गुणों एवं कार्यों का चालीस चौपाइयों में वर्णन है। भगवान श्री राम को विष्णु जी का सातवां अवतार माना जाता है। विष्णु जी का अवतार होने के कारण भगवान श्री राम को बेहद पूजनीय माना जाता है। आइये पढ़ें श्री राम जी की चालीसा।
1 And if any one sin, in that he heareth the voice of adjuration, he being a witness, whether he hath seen or known, if he do not utter [it], then he shall bear his iniquity.
“Bhishma said, ‘In this connection is cited an old narrative of what wasrecited by king Vichakhy through compassion for all creatures.
यह कहानी उस समय की है, जब अयोध्या में राजा वीरकेतु का शासन था| राजा वीरकेतु बहुत योग्य प्रशासक थे| उनके राज्य में प्रजा स्वयं को सुखी एवं सुरक्षित महसूस करती थी|