ढोलक का राज
एक गांव में एक नाई रहता था | उसका काम था लोगों की इजामत बनाना | उसकी एक बुरी आदत थी कि उसके पेट में कोई बात पचती नहीं थी | अत: इधर की बातें उधर बताने का उसे शौक था |
एक गांव में एक नाई रहता था | उसका काम था लोगों की इजामत बनाना | उसकी एक बुरी आदत थी कि उसके पेट में कोई बात पचती नहीं थी | अत: इधर की बातें उधर बताने का उसे शौक था |
“Ashtaka said, ‘Those cognisant of the Vedas differ in opinion as to howthe followers of each of the four modes of life, viz., Grihasthas,Bhikshus, Brahmacharins, and Vanaprashthas, should conduct themselves inorder to acquire religious merit.”
“Indra said, “Even so it is; the might of Brahmanas is great and thereare none more powerful than Brahmanas, but I can never bear withequanimity the insolent pride of Avikshita’s son, and so shall I smitehim with my thunderbolt.
हरिश्चंद्र ने पीछे मुड़कर देखा तो वंहा अपने स्वामी चाण्डाल को खड़ा पाया, जो मुस्कुराते हुए कह रहा था, “हरिश्चंद्र! तुम अपनी परीक्षा में सफल रहे|”
“Drupada said, ‘Of beings those that are endowed with life are superior.Of living beings those that are endowed with intelligence are superior.Of intelligent creatures men are superior.
Vaisampayana continued, “The virtuous king Yudhishthira, having listenedto this excellent religious discourse, again addressed himself to therishi Markandeya saying,
मेवाड़ के महाराणा अपने एक नौकर को हमेशा अपने साथ रखते थे, चाहे युद्ध का मैदान हो, मंदिर हो या शिकार पर जाना हो। एक बार वह अपने इष्टदेव एकलिंग जी के दर्शन करने गए। उन्होंने हमेशा की तरह उस नौकर को भी साथ ले लिया।