Chapter 304
“‘Vasishtha said, ‘Thus in consequence of his forgetfulness the Soulfollows ignorance and obtains thousands of bodies one after another.
“‘Vasishtha said, ‘Thus in consequence of his forgetfulness the Soulfollows ignorance and obtains thousands of bodies one after another.
कहते हैं कि ‘विपत्ति ही संपति की जननी है| परीक्षा के पलों में ही मनुष्य के महत्व का पता चलता है| जिसके जीवन में कठिनाईयां नहीं आतीं, उसकी आत्म-शक्ति और धैर्य की परीक्षा नहीं हो सकती|’
अनोवा और ग्रीट्स बहुत पक्के मित्र थे | वे एक दूसरे पर जाने छिड़कने को तैयार रहते थे | उन्हीं दिनों उनको मोरियो नामक एक व्यक्ति मिला | वह भी उन लोगों से मित्रता बढ़ाने लगा |
“Janamejaya said, ‘Please recite the names of Dhritarashtra’s sonsaccording to the order of their birth.’
“Vaisampayana said, ‘Dismissed with salutation by the Pandavas, Sanjayaset out for (Hastinapura) having executed all the commands of theillustrious Dhritarashtra.
“Markandeya continued, ‘Having exterminated the thieves and robbers,Kalki will, at a great Horse-sacrifice, duly give away this earth to
डाकुओं का एक दल था| उनमें जो बड़ा-बूढ़ा डाकू था, वह सबसे कहता था कि ‘भाई, जहाँ कथा-सत्संग होता हो, वहाँ कभी मत जाना, नहीं तो तुम्हारा काम बंद हो जाएगा|