Chapter 2
“Baladeva said, ‘You have all listened to the speech of him who is theelder brother of Gada, characterised as it is by a sense of virtue andprudence, and salutary alike to Yudhishthira and king Duryodhana.
“Baladeva said, ‘You have all listened to the speech of him who is theelder brother of Gada, characterised as it is by a sense of virtue andprudence, and salutary alike to Yudhishthira and king Duryodhana.
बेर एक ऐसा फलदार पेड़़ है जो कि एक बार पूरक सिंचाई से स्थापित होने के पश्चात वर्षा के पानी पर निर्भर रहकर भी फलोत्पादन कर सकता है। बेर में बहुत कम मात्रा में कैलोरी होती है लेकिन ये ऊर्जा का एक बहुत अच्छा स्त्रोत है. इसमें कई प्रकार के पोषक तत्व, विटामिन और लवण पाए जाते हैं. इन पोषक तत्वों के साथ ही ये एंटी-ऑक्सीडेंट के गुणों से भी भरपूर होता है।
“Markandeya continued, ‘He (Uktha) performed a severe penance lasting formany years, with the view of having a pious son equal unto Brahma inreputation.
वह भयानक सूअर गुर्राता हुआ अयोध्या पंहुचा और राजा के उपवन में घुसकर बिना भय के लता-वृक्षों को तोड़ने-फोड़ने लगा| कुंजो को उसने नष्ट कर दिया और वृक्षों को जड़ सहित उखाड़ फेंका|
पुराने जमाने की बात है। एक सम्राट गहरी चिंता में डूबा रहता। कहने को तो वह शासक था पर वह अपने को अशक्त, परतंत्र और पराजित अनुभव करता था। एक दिन वह अपनी चिंताओं से पीछा छुड़ाने के लिए बहुत दूर एक जंगल में निकल पड़ा। उसे वहां बांसुरी के स्वर सुनाई पड़े। एक झरने के पास वृक्षों की छाया तले एक युवा चरवाहा बांसुरी बजा रहा था। उसकी भेड़ें पास में ही विश्राम कर रही थीं। सम्राट ने चरवाहे से कहा, ‘तुम तो ऐसे आनंदित हो जैसे तुम्हें कोई साम्राज्य मिल गया है।’
1 [वै]
शरुत्वेमां धर्मसंयुक्तां धर्मराजः कथां शुभाम
पुनः पप्रच्छ तम ऋषिं मार्कण्डेयं तपस्विनम
बहुत समय पहले नादुक नाम का एक धनी व्यापारी रहता था| कुछ समय बाद उसे व्यापार में घाटा पड़ गया और वह कर्ज में डूब गया|
मुंह के भीतर छाले पड़ने को ‘मुखपाक’ भी कहते हैं| यह एक ऐसा रोग है जिसके कारण रोगी को भोजन करने, बोलने तथा गाने आदि में अपार कष्ट होता है|