Chapter 21
“Vaisampayana said, ‘Having heard his words, Bhishma, senior in wisdom,and endued with great effulgence, paid honours to him, and then spokewords suitable to the occasion.
“Vaisampayana said, ‘Having heard his words, Bhishma, senior in wisdom,and endued with great effulgence, paid honours to him, and then spokewords suitable to the occasion.
मासिक धर्म स्त्री में होने वाली एक स्वाभाविक प्रक्रिया है| यदि मासिक धर्म में अनियमितता होती है तो स्त्री के शरीर में अन्य विकार उत्पन्न हो जाते हैं| इसका कारण शरीर के भीतर किसी रोग का होना भी हो सकता है| इसके सुचारु रूप से न होने पर स्त्री जीवन भर मातृत्व सुख से वंचित रह जाती है|
Markandeya said, “O king, after the death of Ikshvaku, a highly virtuousking of the name of Sasada, ascending the throne of Ayodhya ruled thisearth. And from Sasada was descended Kakutstha of great energy.
काशी में गंगा के तट पर एक संत का आश्रम था। एक दिन उनके एक शिष्य ने पूछा, ‘गुरुवर, शिक्षा का निचोड़ क्या है?’ संत ने मुस्करा कर कहा, ‘एक दिन तुम खुद-ब-खुद जान जाओगे।’ बात आई और गई। कुछ समय बाद एक रात संत ने उस शिष्य से कहा, ‘वत्स, इस पुस्तक को मेरे कमरे में तख्त पर रख दो।’ शिष्य पुस्तक लेकर कमरे में गया लेकिन तत्काल लौट आया। वह डर से कांप रहा था। संत ने पूछा, ‘क्या हुआ? इतना डरे हुए क्यों हो?’ शिष्य ने कहा, ‘गुरुवर, कमरे में सांप है।’
हम मतवाले हैं चले साँई के देस – 2
जहाँ सभी को चैन मिलेगा कभी न लागे ठेस
हम मतवाले हैं चले साँई के देस
1 [स]
वयूहेष्व आलॊड्यमानेषु पाण्डवानां ततस ततः
सुदूरम अन्वयुः पार्थाः पाञ्चालाः सह सॊमकैः
बादल देख डरी हो स्याम मैं बादल देख डरी।
श्याम मैं बादल देख डरी।