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प्राचीनकाल की बात है | असम के ग्रामीण इलाके में तीरथ नाम का कुम्हार रहता था | वह जितना कमाता था, उससे उसका घर खर्च आसानी से चल जाता था | उसे अधिक धन की चाह नहीं थी | वह सोचता था कि उसे अधिक कमा कर क्या करना है | दोनों वक्त वह पेट भर खाता था, उसी से संतुष्ट था |

जिस समय राजा हरिश्चंद्र महर्षि वशिष्ठ और अयोध्यावासियो को समझा रहे थे, उसी समय विश्वामित्र अंगरक्षकों से घिरे हुए रथ पर सवार वंहा पहुंचे और लोगों से घिरे राजा, रानी और उनके पुत्र को देखकर चीखे, “हरिश्चंद्र! तू धर्मभ्रष्ट हो गया है|