चितकबरे जूते
चांग ची बहुत रईस आदमी था | उसने अपने लिए अपार दौलत जमा कर रखी थी | उसकी पत्नी उसे लाख समझाती थी कि इतनी कंजूसी अच्छी बात नहीं, परंतु वह मानता ही नहीं था |
चांग ची बहुत रईस आदमी था | उसने अपने लिए अपार दौलत जमा कर रखी थी | उसकी पत्नी उसे लाख समझाती थी कि इतनी कंजूसी अच्छी बात नहीं, परंतु वह मानता ही नहीं था |
प्राचीनकाल की बात है | असम के ग्रामीण इलाके में तीरथ नाम का कुम्हार रहता था | वह जितना कमाता था, उससे उसका घर खर्च आसानी से चल जाता था | उसे अधिक धन की चाह नहीं थी | वह सोचता था कि उसे अधिक कमा कर क्या करना है | दोनों वक्त वह पेट भर खाता था, उसी से संतुष्ट था |
“Vaisampayana said, ‘The monarch Santanu, the most adored of the gods androyal sages, was known in all the worlds for his wisdom, virtues, andtruthfulness (of speech).
“–The Brahmana said, ‘He who becomes absorbed in the one receptacle (ofall things), freeing himself from even the thought of his own identitywith all things,–indeed, ceasing to think of even his ownexistence,–gradually casting off one after another, will succeed incrossing his bonds.
“Salya said, ‘Thus addressed by Sachi, the illustrious god said to heragain, ‘This is not the time for putting forth valour. Nahusha isstronger than I am.
जिस समय राजा हरिश्चंद्र महर्षि वशिष्ठ और अयोध्यावासियो को समझा रहे थे, उसी समय विश्वामित्र अंगरक्षकों से घिरे हुए रथ पर सवार वंहा पहुंचे और लोगों से घिरे राजा, रानी और उनके पुत्र को देखकर चीखे, “हरिश्चंद्र! तू धर्मभ्रष्ट हो गया है|
राजा हरिश्चंद्र ने अपनी पत्नी शैव्या और पुत्र के साथ वल्कल वस्त्र धारण किये और राजमहल से बाहर निकल आए|