अध्याय 83
1 [य]
उक्तं पितामहेनेदं गवां दानम अनुत्तमम
विशेषेण नरेन्द्राणाम इति धर्मम अवेक्षताम
1 [मार्क]
अग्नीनां विविधॊ वंशः पीर्तितस ते मयानघ
शृणु जन्म तु कौरव्य कार्त्तिकेयस्य धीमतः
लंका का राजा रावण भिक्षुक के भेष में आकर सीताजी का हरण कर ले गया था| श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण के साथ सीताजी की खोज में जटायु के पास गए|
“Bhishma said, ‘Listen, O king, to me as I tell thee the symptoms thatappeared on the body of Vritra when he was overtaken by that fever (bornof the energy of Mahadeva).
बलसोरा के बादशाह का राज्य धनधान्य से पूर्ण था | किसी भी प्रकार की कोई कमी न थी | उनकी एक प्यारी-सी बेटी थी जिनी | उसके काले घुंघराले बाल, घनी पलकें, तीखे नयन-नक्श, हर किसी को अपनी ओर आकृष्ट करते रहते थे |
तिल्ली में वृद्धि होने से पेट के विकार, खून में कमी तथा धातुक्षय की शिकायत शुरू हो जाती है| यह रोग भी मनुष्य को बेचैनी एवं कष्ट प्रदान करता है| शुरू में इस रोग का उपचार करना आसान होता है, परंतु बाद में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ता है|
1 [वै]
धृतराष्ट्रस तु पुत्रस्य शरुत्वा वचनम ईदृशम
मुहूर्तम इव संचिन्त्य दुर्यॊधनम अथाब्रवीत