अध्याय 35
1 [भ]
जन्मनैव महाभागॊ बराह्मणॊ नाम जायते
नमस्यः सर्वभूतानाम अतिथिः परसृताग्र भुक
1 [युधिस्ठिर]
कानि कृत्वेह कर्माणि परायश्चित्तीयते नरः
किं कृत्वा चैव मुच्येत तन मे बरूहि पितामहः
1 And this is the thing that thou shalt do unto them to hallow them, to minister unto me in the priest’s office: take one young bullock and two rams without blemish,
श्रावण मास में जितने भी मंगलवार आएँ, उनमें रखे गये व्रत गौरी व्रत कहलाते हैं| यह व्रत मंगलवार को रखे जाने के करण मंगला गौरी व्रत कहलाते हैं| "मंगल गौरी का पूजन और व्रत" सुनने के लिए Play Button क्लिक करें | Audio Mangal Gori Ka
“Dhritarashtra said, Yudhishthira the son of Pandu is endued withKshatriya energy and leadeth the Brahmacharya mode of life from his veryyouth.
“Vaisampayana said, ‘Then the son of Suvala (Sakuni), king Duryodhana,Duhsasana and Kama, in consultation with one another, formed an evilconspiracy.
द्रौपदी के साथ पाण्डव वनवास के अंतिम वर्ष अज्ञातवास के समय में वेश तथा नाम बदलकर राजा विराट के यहां रहते थे| उस समय द्रौपदी ने अपना नाम सैरंध्री रख लिया था और विराट नरेश की रानी सुदेष्णा की दासी बनकर वे किसी प्रकार समय व्यतीत कर रही थीं|