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प्राचीन भारत में पुत्रेष्टि यज्ञ के द्वारा तेजस्वी पुत्र प्राप्त करने की प्रथा थी| जब किसी बहुत बड़े नृपति को संतान का अभाव दुख देता था, तो वह ऋषियों और महात्माओं के द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ कराता था| यज्ञ के कुंड से हवि बाहर निकलती थी| उस हवि को खाने से मनचाहे पुत्र की प्राप्ति होती थी| पांचाल देश के नृपति के कई पुत्र थे, फिर भी उन्होंने तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए पुतेष्टि यज्ञ कराया था| उन्होंने पुत्र होने पर भी पुतेष्टि यज्ञ क्यों कराया था – इस बात को नीचे की कहानी में जानिए –

दरबारियों की चुगलखोरी से परेशान होकर बीरबल अज्ञातवास पर चला गया| बादशाह अकबर ने उसकी बहुत खोज करवाई किन्तु नहीं मिला| उन्हें इतना तो यकीन था कि वह आसपास के किसी गांव में छिपकर रह रहा है, किन्तु कहां… यह पता नहीं चल पा रहा था|

1 [य] इमे वै मानवा लॊके सत्रीषु सज्जन्त्य अभीक्ष्णशः
मॊहेन परम आविष्टा दैवादिष्टेन पार्थिव
सत्रियश च पुरुषेष्व एव परत्यक्षं लॊकसाक्षिकम