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तिरुमला स्थित भगवान वेकटेश्वर के मंदिर की आरती भी आध्यात्मिक होती है। यह तिरुपति बालाजी के मंदिर के नाम से विश्व में विख्यात है। भगवान वेंकटेश्वर को बालाजी अथवा गोविन्दा के नाम से भी जानते हैं।

“Vaisampayana continued, ‘Upon the Kuru king and Bhima, the foremost ofall endued with strength, having entered the arena, the spectators weredivided into two parties in consequence of the partiality swaying theiraffections. Some cried, ‘Behold the heroic king of theKurus!’–some–‘Behold Bhima!’–And on account of these cries, there was,all on a sudden, a loud uproar.

हिमालय की तराई में एक सघन वन था| वन में तरह-तरह के पशु-पक्षी रहते थे| वहीं जगह-जगह ऋषियों की झोंपड़ियां भी बनी हुई थीं| ऐसा लगता था मानो प्रकृति ने अपने हाथों से उस वन को संवारा हो| उन्हीं झोंपड़ियों के पास एक तेजस्वी युवक बहुत दिनों से अंगूठे के बल खड़ा होकर तप में लीन था| उसने खाना-पीना सबकुछ छोड़ दिया था| वह केवल हवा पीकर ही रहता था| उसका शरीर सूख गया था, सिर के बाल बढ़ गए थे, पर चेहरे पर तेज बढ़ता जा रहा था, लगता था, मानो दूसरा सूर्य निकल रहा हो|