श्री बाला जी की आरती – Shri Bala Ji Ki Aarti
तिरुमला स्थित भगवान वेकटेश्वर के मंदिर की आरती भी आध्यात्मिक होती है। यह तिरुपति बालाजी के मंदिर के नाम से विश्व में विख्यात है। भगवान वेंकटेश्वर को बालाजी अथवा गोविन्दा के नाम से भी जानते हैं।
तिरुमला स्थित भगवान वेकटेश्वर के मंदिर की आरती भी आध्यात्मिक होती है। यह तिरुपति बालाजी के मंदिर के नाम से विश्व में विख्यात है। भगवान वेंकटेश्वर को बालाजी अथवा गोविन्दा के नाम से भी जानते हैं।
“Dhritarashtra said, ‘He whom we have never heard to speak a falsehood,he who hath Dhananjaya to fight for him, may have the sovereignty of eventhe three worlds.
“Vaisampayana continued, ‘Upon the Kuru king and Bhima, the foremost ofall endued with strength, having entered the arena, the spectators weredivided into two parties in consequence of the partiality swaying theiraffections. Some cried, ‘Behold the heroic king of theKurus!’–some–‘Behold Bhima!’–And on account of these cries, there was,all on a sudden, a loud uproar.
हिमालय की तराई में एक सघन वन था| वन में तरह-तरह के पशु-पक्षी रहते थे| वहीं जगह-जगह ऋषियों की झोंपड़ियां भी बनी हुई थीं| ऐसा लगता था मानो प्रकृति ने अपने हाथों से उस वन को संवारा हो| उन्हीं झोंपड़ियों के पास एक तेजस्वी युवक बहुत दिनों से अंगूठे के बल खड़ा होकर तप में लीन था| उसने खाना-पीना सबकुछ छोड़ दिया था| वह केवल हवा पीकर ही रहता था| उसका शरीर सूख गया था, सिर के बाल बढ़ गए थे, पर चेहरे पर तेज बढ़ता जा रहा था, लगता था, मानो दूसरा सूर्य निकल रहा हो|
“Arjuna said, ‘Then with rocks of the proportions of trees, therecommenced a mighty shower of crags; and this exercised me exceedingly.
“Vaisampayana said, “Beholding the king, who had become so, of frightfulmien, wearing a long beard smeared with the blood of human beings, theBrahmana Utanka, O king, did not become agitated.