Chapter 165
“Vaisampayana said, ‘That perpetuator of Kuru’s race, viz., Yudhishthirathe son of Pandu, desirous of obtaining such good as is destructive ofsins, questioned Bhishma who was lying on a bed of arrows, (in thefollowing words).’
“Vaisampayana said, ‘That perpetuator of Kuru’s race, viz., Yudhishthirathe son of Pandu, desirous of obtaining such good as is destructive ofsins, questioned Bhishma who was lying on a bed of arrows, (in thefollowing words).’
1 [तक्सक]
दष्टं यदि मयेह तवं शक्तः किं चिच चिकित्सितुम
ततॊ वृक्षं मया दष्टम इमं जीवय काश्यप
कुरुवंश के देवापि बड़े और शांतनु छोटे थे| पिता के स्वर्गवास के बाद राज्याभिषेक का प्रश्न उठने पर देवापि चिंतित हो उठे| वे चर्मरोगी थे इसलिए वे शांतनु को राजा बनाना चाहते थे|
“Sanjaya said, ‘After the slaughter of that hero, that leader ofcar-divisions, viz., the son of Subhadra, the Pandava warriors, leavingtheir cars and putting off their armour, and throwing aside their
“Lomasa said, ‘The blessed God having heard what Bhagiratha had said, andwith a view to doing what was agreeable to the residents of heaven,replied to the king, saying, ‘So let it be.
पुरातन काल में एक ऋषि कश्यप हुए हैं, वह गृहस्थी थे तथा उनकी दो पत्नियां थीं – बिनता और कदरू| कदरू के गर्भ में से सांप पैदा होते थे जिनकी कोई संख्या नहीं थी, पर बिनता के कोई पुत्र पैदा नहीं होता था|
बादशाह अकबर दरबार में बैठे थे| तभी दरबान ने सूचना दी कि पक्षियों का एक सौदागर बादशाह से मिलना चाहता है| बादशाह ने आज्ञा दे दी|