Chapter 351
Janamejaya said, “O regenerate one, are there many Purushas or is thereonly one? Who, in the universe, is the foremost of Purushas? What, again,is said to be the source of all things?”
Janamejaya said, “O regenerate one, are there many Purushas or is thereonly one? Who, in the universe, is the foremost of Purushas? What, again,is said to be the source of all things?”
यह नींबू जाति का ही फल है परन्तु नींबू से अनेक गुना लाभदायक है। मौसमी का जूस हमारी सेहत के लिए फायदेमंद होता है| इसमें विटामिन सी और पोटेशियम जैसे खनिज पाए जाते हैं|
1 [ज]
एवं संप्राप्य राज्यं तद इन्द्रप्रस्थे तपॊधन
अत ऊर्ध्वं महात्मानः किम अकुर्वन्त पाण्डवाः
1 [भीम]
शरॊत्रियस्येव ते राजन मन्दकस्याविपश्चितः
अनुवाक हता बुद्धिर नैषा तत्त्वार्थ दर्शिनी
“Vaisampayana said, ‘Hearing these words of the Brahmana, the sons ofKunti seemed to be, as it were, pierced with darts. Indeed, all thosemighty heroes lost their peace of mind.
एक राज था| उसने एक भव्य और मज़बूत महल का निर्माण कराया| सभी ने उस महल की खूब प्रशंसा की| एक बार एक संत-महात्मा राजा के उस महल में आए| राजा ने महात्मा की खूब सेवा-टहल की| उन्हें अपना पूरा महल दिखाया|
गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति ।
नर्मदे सिन्धु कावेरि जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु ।।
“Vaisampayana said, ‘O smiter of foes, when Devaki’s son of mighty armsset out (for Hastinapura), ten mighty car-warriors, capable of slayinghostile heroes, fully armed, followed in his train.
गुरु द्रोणाचार्य ब्राह्मण थे, धनुर्विद्या के महान आचार्य थे, पर बड़े गरीब थे| इतने गरीब थे कि जीवन का निर्वाह होना कठिन था| घर में कुल तीन प्राणी थे – द्रोणाचार्य स्वयं, उनकी पत्नी और उनका पुत्र अश्वत्थामा| पुत्र की अवस्था पांच-छ: वर्ष की थी|