Home2011March (Page 38)

“Dhritarashtra said, A mere child in years, brought up in great luxury,proud of the strength of his arms, accomplished in battle, endued withgreat heroism, the perpetuator of his race, and prepared to lay down hislife–when Abhimanyu penetrated into the Katirava army, borne on histhree-years old steeds of spirited mettle, was there any of greatwarriors, in Yudhishthira’s army, that followed the son of Arjuna?’

श्री कलगीधर पिता जी की महिमा अपरम्पार है, श्री आनंदपुर में चोजी प्रीतम ने बड़े कौतुक किए| अमृत तैयार करके गीदड़ों को शेर बना दिया| धर्म, स्वाभिमान, विश्वास, देश-भक्ति तथा प्रभु की नई जोत जगाई| सदियों से गुलाम रहने के कारण भारत की नारी निर्बल हो कर सचमुच ही मर्द की गुलाम बन गई तथा मर्द से बहुत डरने लगी|

बादशाह अकबर के दरबारियों को अक्सर यह शिकायत रहती थी कि बादशाह हमेशा बीरबल को ही बुद्धिमान बताते हैं, औरों को नहीं|