राधे राधे , राधे राधे
राधे राधे , राधे राधे ,
राधे राधे , राधे राधे
Janamejaya said, “The illustrious Hari becomes gracious unto them thatare devoted to him with their whole souls. He accepts also all worshipthat is offered to Him agreeably to the ordinance.
1 [धृ]
भीष्मः शांतनवॊ विद्वान दरॊणश च भगवान ऋषिः
हितं परमकं वाक्यं तवं च सत्यं बरवीषि माम
1 [वैषम्पायन]
अर्जुनस्य वचॊ शरुत्वा नकुलॊ वाक्यम अब्रवीत
राजानम अभिसंप्रेक्ष्य सर्वधर्मभृतां वरम
1 दुर्यॊधन उवाच
कथं शिखण्डी गाङ्गेय कन्या भूत्वा सती तदा
पुरुषॊ ऽभवद युधि शरेष्ठ तन मे बरूहि पितामह
“The Brahmana said, ‘At that region where the Ganga entered the plainsthere lived a great Rishi, devoted to the austerest of penances. Of rigidvows and great wisdom, he bore the name Bharadwaja. One day, on coming tothe Ganga to perform his ablutions, the Rishi saw the Apsara Ghritachi,who had come before, standing on the bank after her ablutions were over.
एक कुम्हार के पास कई गधे थे| रोज़ सुबह जब वह गधों को मिट्टी लाने के लिए ले जाता तो एक जगह कुछ देर के लिए आराम करता था| वह सभी गधों को पेड़ से बाँध देता और खुद भी एक पेड़ के नीचे लेट जाता|
“Vaisampayana said, ‘Hearing the peaceful words of the king that werefraught with both virtue and profit, king Drupada’s daughter Krishna, oflong black tresses, afflicted with great grief, applauding Sahadeva andthat mighty car-warrior Satyaki, addressed Madhava seated by his side.
अश्वत्थामा द्रोणाचार्य का पुत्र था| कृपी उसकी माता थी| पैदा होते ही वह अश्व की भांति रोया था| इसलिए अश्व की भांति स्थाम (शब्द) करने के कारण उसका नाम अश्वत्थामा पड़ा था| वह बहुत ही क्रूर और दुष्ट बुद्धि वाला था| तभी पिता का उसके प्रति अधिक स्नेह नहीं था|धर्म और न्याय के प्रति उसके हृदय में सभी प्रेरणा नहीं होती थी और न वह किसी प्रकार का आततायीपन करने में हिचकता था|
“Yudhishthira said, ‘O Vrikodara, there are mighty and powerful invisiblespirits at this place. We shall, however, pass it, through the merit ofour asceticism and Agnihotra sacrifices.