Chapter 38
“Sanjaya said, ‘Then the intelligent Abhimanyu, with limbs mangled witharrows, smilingly addressed his foe, Duhsasana, stationed before himsaying,
“Sanjaya said, ‘Then the intelligent Abhimanyu, with limbs mangled witharrows, smilingly addressed his foe, Duhsasana, stationed before himsaying,
आइआ सुणिआ बिदर दे बोले दुरजोधन होइ रुखा |
घरि असाडे छडि के गोले दे घरि जाहि कि सुखा |
“Vaisampayana said, ‘Having said these words, Partha set out, followingthe horse which wandered at its will.
कभी-कभी बादशाह अकबर दरबार में जब हंसी-मजाक के मूड में होते तो उल-जलूल सवाल पूछ लिया करते थे| इसी कड़ी में एक दिन बादशाह ने कहा – “आज मेरा हंसने का बहुत मन कर रहा है, अगर कोई मुझे हंसा देगा तो मैं उसे सौ मोहरें इनाम में दूंगा लेकिन अगर नहीं हंसा पाया तो पचास मोहरें के तौर पर देनी होंगी|”
1 [सूर्य]
माहितं कर्ण कार्षीस तवम आत्मनः सुहृदां तथा
पुत्राणाम अथ भार्याणाम अथॊ मातुर अथॊ पितुः
भोजन का ठीक प्रकार से न पचना अजीर्ण या अपच कहलाता है| यह एक ऐसी दशा है जिसके कारण छोटे-मोटे कई रोग मनुष्य को घेर लेते हैं| यदि यह व्याधि काफी दिनों तक बराबर बनी रहती है तो शरीर में खून बनना बंद हो जाता है|
1 And Jehovah said unto Moses, Now shalt thou see what I will do to Pharaoh: for by a strong hand shall he let them go, and by a strong hand shall he drive them out of his land.