अध्याय 282
1 [मार्क]
एतस्मिन्न एव काले तु दयुमत्सेनॊ महावने
लब्धचक्षुः परसन्नात्मा दृष्ट्या सर्वं ददर्श ह
1 [मार्क]
एतस्मिन्न एव काले तु दयुमत्सेनॊ महावने
लब्धचक्षुः परसन्नात्मा दृष्ट्या सर्वं ददर्श ह
1 Then Jehovah said unto Moses, Go in unto Pharaoh, and tell him, Thus saith Jehovah, the God of the Hebrews, Let my people go, that they may serve me.
“Nara and Narayana said, ‘Deserving art thou of the highest praise, andhighly favoured hast thou been, since thou hast beheld the puissantNarayana himself (in the form of Aniruddha).
प्राय: भगवान श्रीकृष्ण की पटरानियां ब्रजगोपियों के नाम से नाक-भौं सिकोड़ने लगतीं| इनके अहंकार को भंग करने के लिए प्रभु ने एक बार एक लीला रची| नित्य निरामय भगवान बीमारी का नाटक कर पड़ गए| नारद जी आए| वे भगवान के मनोभाव को समझ गए| उन्होंने बताया कि इस रोग की औषधि तो है, पर उसका अनुपान प्रेमी भक्त की चरण-रज ही हो सकती है| रुक्मिणी, सत्यभामा सभी से पूछा गया| पर पदरज कौन दे प्रभु को| भगवान ने कहा, “एक बार ब्रज जाकर देखिए तो|”
1 भीष्म उवाच
ततॊ रात्र्यां वयतीतायां परतिबुद्धॊ ऽसमि भारत
तं च संचिन्त्य वै सवप्नम अवापं हर्षम उत्तमम
1 [वैषम्पायन]
अर्जुनस्य वचॊ शरुत्वा भीमसेनॊ ऽतय अमर्षणः
धैर्यम आस्थाय तेजस्वी जयेष्ठं भरातरम अब्रवीत