अध्याय 18
1 [वैषम्पायन]
तूष्णींभूतं तु राजानं पुनर एवार्जुनॊ ऽबरवीत
संतप्तः शॊकदुःखाभ्यां राज्ञॊ वाक्शल्य पीडितः
1 [वैषम्पायन]
तूष्णींभूतं तु राजानं पुनर एवार्जुनॊ ऽबरवीत
संतप्तः शॊकदुःखाभ्यां राज्ञॊ वाक्शल्य पीडितः
‘Kunti said, ‘I desire to learn from you the cause of this grief, for Iwill remove it, if possible.’
महाभारत के युद्ध का सत्रहवां दिन समाप्त हो गया था| महारथी कर्ण रणभूमि में गिर चुके थे| पांडव-शिविर में आनंदोत्सव हो रहा था| ऐसे उल्लास के समय श्रीकृष्ण खिन्न थे| वे बार-बार कर्ण की प्रशंसा कर रहे थे, “आज पृथ्वी से सच्चा दानी उठ गया|”
“Vaisampayana said, ‘Thus addressed by Vasudeva, the ever-wrathful Bhima,incapable of bearing insults, was immediately awakened like a steed ofhigh metal, and replied, without losing a moment, saying,
तुमने खरगोश देखा होगा, खरगोश भूरे और सफेद होते हैं| दूसरे भी कई रंगों के खरगोश पाये जाते हैं| कुछ लोग पालते भी हैं| खरगोश को संस्कृत में शशक कहते हैं| खरगोश बहुत छोटा जानवर होने पर भी दौड़ने में बहुत तेज होता है|
Vaisampayana said, “O represser of foes, hearing these words of theintelligent monkey-chief, the heroic Bhima answered, ‘Who art thou? Andwhy also hast thou assumed the shape of a monkey?
यह पाचाकाग्नि को प्रदीप्त करने में समक्ष है तथा वायु विकार को दूर करने में हितकारी है| अत्यन्त शीतल, पाचक और लाभदायक है| इसका मुख्य प्रयोग सब्जी के रूप में किया जाता है| इसकी सब्जी में पोटेशियम, फास्फोरस, आयोडीन आदि पाये जाते हैं| इसमें लोहा, विटामिन-बी ओर प्रोटीन भी पाये जाते हैं| पकाने पर भी इसमें विटामिन-ए नष्ट नहीं होता|
“Sanjaya said, ‘Hearing these words of the intelligent Yudhishthira, theson of Subhadra, O Bharata, urged his charioteer towards Drona’s array.
“Arjuna said, ‘What business brought thee here, O daughter (-in-law) ofKuru’s race, and what also is the cause of the arrival on the field ofbattle of her who is the mother of the ruler of Manipura?