Home2011March (Page 25)

यह भोजन का स्वाद मुखर करती है, अग्नि को उत्तेजित करती है तथा दाहजनक होती है| स्वरभंग, अजीर्ण एवं अरुचि को दूर करने में समक्ष है| पाचक होती है और चर्म रोग में लाभ करती है, किन्तु इसका अधिक प्रयोग पेट में अल्सर पैदा कर सकता है| साथ ही अमाशय में गर्मी उत्पन्न करती है, फिर भी विभिन्न रोगों में अत्यन्त लाभकारी है|

मानव जीवन में सदा परिवर्तन आता रहता है| वह परिवर्तन किसी न किसी घटना पर होता है और जीवन को बदल कर रख देता है| भक्त सधना कसाई था लेकिन प्रभु भक्त बन गया| आपकी कथा श्रवण कीजिए|

नजला या जुकाम ऐसा रोग है जो किसी भी दिन किसी भी स्त्री या पुरुष को हो सकता है| यह रोग वैसे तो ऋतुओं के आने-जाने के समय होता है लेकिन वर्षा, जाड़े और दो ऋतुओं के बीच के दिनों में ज्यादातर होता है|