अध्याय 180
1 भीष्म उवाच
तम अहं समयन्न इव रणे परत्यभाषं वयवस्थितम
भूमिष्ठं नॊत्सहे यॊद्धुं भवन्तं रथम आस्थितः
1 भीष्म उवाच
तम अहं समयन्न इव रणे परत्यभाषं वयवस्थितम
भूमिष्ठं नॊत्सहे यॊद्धुं भवन्तं रथम आस्थितः
“Janamejaya asked, ‘O first of Brahmanas, what did the Pandavas, thosemighty car-warriors, the sons of Kunti, do after arriving at Ekachakra?’
उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद जिले में एक तहसील है – हड़िया| हड़िया को मुंशीगंज भी कहते हैं| हड़िया से एक सड़क गंगा के तट की ओर एक बहुत बड़े गांव की ओर जाती है| उस गांव का नाम लाक्षागृह है|
“The holy one said, ‘I have heard Sanjaya’s words and now I have heardthine. I know all about his purposes as also of thyself.
“Bhimasena said, ‘Without beholding thy former shape, I will never goaway. If I have found favour with thee, do thou then show me thine ownshape.
एक बंदर एक मनुष्य के घर प्रतिदिन आता था और ऊधम करता था| वह कभी कपड़े फाड़ देता, कभी कोई बर्तन उठा ले जाता और कभी बच्चों को नोच लेता| वह खाने-पीने की वस्तुएँ ले जाता था, इसका दुःख उन घरवालों को नहीं था; किंतु उस बंदर के उपद्रव से वे तंग आ गये थे|
“Rama said, ‘The blame is mine, O father, that like a stag in the wood,thou hast been shot dead with arrows, by those mean and stupidwretches–the sons of Kartavirya.
“Vaisampayana said, ‘The irresistible wielder of Gandiva, addresst forbattle, stood immovable on the field like Himavat himself.
1 [स]
तस्मिन्न अहनि निर्वृत्ते घॊरे पराणभृतां कषये
आदित्ये ऽसतं गते शरीमान संध्याकाल उपस्थिते
एक बार अकबर की ओर से बीरबल किसी शाही दावत में गया हुआ था| अगले दिन जब बीरबल दरबार में लौटा तो बादशाह ने उससे शाही दावत और उसमें बने भोजन के बारे में पूछा|