अध्याय 52
1 [स]
शरुत्वा तु तं महाशब्दं पाण्डूनां पुत्रगृद्धिनाम
चारैः परवेदिते तत्र समुत्थाय जयद्रथः
1 [स]
शरुत्वा तु तं महाशब्दं पाण्डूनां पुत्रगृद्धिनाम
चारैः परवेदिते तत्र समुत्थाय जयद्रथः
“Vaisampayana said, ‘Thus waged that battle, O chief of the Bharatas, forthree days between Arjuna and that prince like the encounter between himof a hundred sacrifices and Vritra.
फौजिया की काफी उम्र हो गई थी और वह इस दुनिया में अकेली थी| उम्र के इस दौर में पहुंचकर उसे हज पर जाने की इच्छा हुई| अत: उसने अपने सभी गहने हजार मोहरों के दाम बेच दिए| ढाई सौ मोहरें उसने खर्च के लिए रखकर शेष साढ़े सात सौ मोहरों को एक थैली में अच्छी तरह से बन्द कर दिया तथा उसे लाख से सील कर दिया|
1 [वैषम्पायन]
तस्मिन वाक्यान्तरे वाक्यं पुनर एवार्जुनॊ ऽबरवीत
विषण्णमनसं जयेष्ठम इदं भरातरम ईश्वरम
1 Then sang Moses and the children of Israel this song unto Jehovah, and spake, saying, I will sing unto Jehovah, for he hath triumphed gloriously: The horse and his rider hath he thrown into the sea.
जग मे सुंदर हैं दो नाम चाहे कृष्ण कहो या राम (३)
बोलो राम राम राम, बोलो शाम शाम श्याम (३)
“Bhishma said, ‘Arrived at the spacious realm called White Island, theillustrious Rishi beheld those same white men possessed of lunarsplendour (of whom I have already spoken to thee). Worshipped by them,the Rishi worshipped them in return by bending his head and reverencingthem in his mind.
1 [दूत]
जन्यार्थम अन्नं दरुपदेन राज्ञा; विवाह हेतॊर उपसंस्कृतं च
तद आप्नुवध्वं कृतसर्वकार्याः; कृष्णा च तत्रैव चिरं न कार्यम