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फौजिया की काफी उम्र हो गई थी और वह इस दुनिया में अकेली थी| उम्र के इस दौर में पहुंचकर उसे हज पर जाने की इच्छा हुई| अत: उसने अपने सभी गहने हजार मोहरों के दाम बेच दिए| ढाई सौ मोहरें उसने खर्च के लिए रखकर शेष साढ़े सात सौ मोहरों को एक थैली में अच्छी तरह से बन्द कर दिया तथा उसे लाख से सील कर दिया|