अध्याय 26
1 [स]
यन मां पार्थस्य संग्रामे कर्माणि परिपृच्छसि
तच छृणुष्व महाराज पार्थॊ यद अकरॊन मृधे
“Vasudeva said, ‘O mighty-armed Yudhishthira, listen to me as I recite tothee the many names of Rudra as also the high blessedness of thathigh-souled one.
दिल्ली में एक विद्वान पंडित रहते थे| उनका दरबार में बहुत सम्मान था| पंडितजी बिना सोचे-समझे किसी काम में हाथ नहीं डालते थे और जो वह कह देते उसका पालन करते|
1 [मार्क]
शिवा भार्या तवाङ्गिरसः शीलरूपगुणान्विता
तस्याः सा परथमं रूपं कृत्वा देवी जनाधिप
जगाम पावकाभ्याशं तं चॊवाच वराङ्गना
प्रेतराज सरकार को दुष्ट आत्माओं को दंड देने वाले देवता के रूप मे पूजा जाता है| अत्यंत भक्ति भाव से उनकी आरती , कीर्तन एवं भजन किये जाते हैं| प्रेतराज सरकार की बाला बाला जी के सहायक देवता के रूप मे आराधना की जाती है| खासतोर पर चावलों का भोग लगवाया जाता है| यहाँ पर बूंदी के लड्डूओं का भोग भी लगाया जाता है|
1 And it shall be, when thou art come in unto the land which Jehovah thy God giveth thee for an inheritance, and possessest it, and dwellest therein,
“Surya said, ‘This Being is not the god of fire, he is not an Asura. Noris he a Naga. He is a Brahmana who has attained to heaven in consequenceof his having been crowned with success in the observance of the vowcalled Unccha.
1 [नारद]
उत्सवे वृत्तमात्रे तु तरैलॊक्याकाङ्क्षिणाव उभौ
मन्त्रयित्वा ततः सेनां ताव आज्ञापयतां तदा