Chapter 59
“Sanjaya said, ‘Beholding Duryodhana felled upon the earth like agigantic Sala uprooted (by the tempest) the Pandavas became filled withjoy.
“Sanjaya said, ‘Beholding Duryodhana felled upon the earth like agigantic Sala uprooted (by the tempest) the Pandavas became filled withjoy.
1 [व]
ततः परायाद विदुरॊ ऽशवैर उदारैर; महाजवैर बलिभिः साधु दान्तैः
बलान नियुक्तॊ धृतराष्ट्रेण राज्ञा; मनीषिणां पाण्डवानां सकाशम
सुनु मृदु गूढ़ रुचिर बर रचना। कृपासिंधु बोले मृदु बचना॥
जो कछु रुचि तुम्हेर मन माहीं। मैं सो दीन्ह सब संसय नाहीं॥
Vaisampayana said, “Rising from their beds the next day and performingthe morning rites laid down in the scriptures, the Pandavas and theYadavas set out (for the spot where Bhishma lay) on their cars resemblingfortified towns.
प्राचीन काल में मथुरा में एक प्रतापी नृपति राज्य करते थे| उनका नाम शूरसेन था| वे भगवान श्रीकृष्ण के पिता वसुदेव के पिता था| वे बड़े धर्मात्मा एवं प्रतिज्ञापालक थे| शूरसेन के एक अनन्य मित्र थे, जिनका नाम कुंतिभोज था| कुंतिभोज के पास सबकुछ तो था, किंतु संतान नहीं थी| वे संतान के अभाव में दिन-रात दुखी और चिंतित रहा करते थे| शूरसेन ने कुंतिभोज के दुख को देखकर उन्हें वचन दिया था कि वे अपनी प्रथम संतान उन्हें दान में दे देंगे|
1 [या]
न शक्यॊ निर्गुणस तात गुणी कर्तुं विशां पते
गुणवांश चाप्य अगुणवान यथातत्त्वं निबॊध मे
“Vasudeva said, ‘After Bhishma had said these words, Drona, alwayscompetent to speak, then addressed Duryodhana in the midst of the(assembled) monarchs and said these words that are beneficial to thee.
“Dhritarashtra said, ‘Tell me, O Sanjaya, how Yuyudhana rushed againstthe son of Bharadwaja in battle. I feel a great curiosity to hear it.’