Home2011January (Page 40)

यह बहुत चिपचिपा, कुछ पारदर्शक तथा भूरे रंग का गाढ़ा होता है| साथ ही यह अत्यंत सुगंधित, मधुर, सघन पानी में सहज ही घुल जाने वाला होता है| यह कई प्रकार का होता है, किन्तु सबकी अपनी गंध, वर्ण और स्वाद होता है| मधुमक्खी सर्व प्रकार के फूलों से, उनका रस खींचकर शहद का निर्माण करती है|

एक बार राजा पुरंजय ने राजसूय यज्ञ का आयोजन किया। इसमें दूर-दूर से ऋषि-मुनि बुलाए गए। यज्ञ प्रजा की सुख-शांति के लिए किया जा रहा था। राजा पुरंजय अत्यंत प्रजावत्सल थे। उनके राज्य में जो भी कार्य किए जाते, वे प्रजा के हितों को ध्यान में रखकर ही किए जाते थे। सभी आमंत्रित ऋषि-मुनियों का राजा ने यथोचित सत्कार किया। तत्पश्चात यज्ञ आरंभ हो गया।

रमानाथ और दीनानाथ में गहरी दोस्ती थी| दोनों ही एक-दूसरे पर जान छिड़कने का दम भरा करते थे| एक दिन दोनों घने जंगल से होकर गुजर रहे थे कि मार्ग में उन्हें एक भालू आता दिखाई दिया| वह उनकी तरफ़ ही आ रहा था| रमानाथ तेजी से भागकर निकट के पेड़ पर चढ़ गया| उसने अपने मित्र दीनानाथ की तनिक भी चिंता नही की| वह बोला, ‘भाई दीनानाथ! जान है तो जहान है| तुम भी अपने बचाव का रास्ता खोजो|’