Chapter 99
1 [स]
मध्याह्ने तु महाराज संग्रामः समपद्यत
लॊकक्षयकरॊ रौद्रॊ भीष्मस्य सह सॊमकैः
“Sanjaya said, ‘O monarch! I beholding Vasudeva and Dhananjaya penetrateinto their host, having already pierced through many divisions, the kingsof the army, fled away in fear.
“Vrihadaswa said, ‘After Varshneya had gone away, Pushkara won from therighteous Nala that latter’s kingdom and what else of wealth he had.
“Vaisampayana said, ‘Then Havyavahana (Agni) in anger and disappointment,with his ailment uncured, went back to the Grandsire.
पंचवटी के सघन जंगलों में एक मदमस्त हाथी रहता था| वह जिधर से भी निकलता, उधर ही हाहाकार मच जाता| सभी जानवर प्राण बचाते हुए इधर-उधर भाग खड़े होते| इसी भाग-दौड़ में अनेक जानवर तो जीवन ही गँवा बैठते थे|
“Yudhishthira said, ‘Tell me, O grandsire, how a poor man, desirous ofachieving his own good, should bear himself after having acquired thestatus of humanity and come into this region of acts that is so difficultto attain.
दीपावली के दूसरे दिन भाई दूज मनाया जाता है। इसे यम द्वीतिया भी कहते हैं। इस दिन बहनें भाई के मस्तक पर टीका लगाकर उसकी लंबी उम्र की मनोकामना करती है।
सुबह का समय था| अकबर ने अपने सेवक से कहा – “जाओ जल्दी बुलाकर लाओ|”
(जन्म और माता-पिता)