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पाटिलपुत्र नगर में चार ब्राह्मण मित्र रहते थे| वे निर्धन थे| एक दिन नगर में महात्मा भैरवानन्द का आगमन हुआ| भैरवानन्द की ख्याति सुन चारों ब्राह्मण मित्र उनके पास पहुँच कर बोले- ‘आप त्रिकालदर्शी सिद्ध महात्मा है| आपकी कृपादृष्टि हम जैसे अभागों का भाग्य बदल सकती है|’

किसी नगर में द्रोण नाम का एक निर्धन ब्राह्मण रहा करता था। उसका जीवन भिक्षा पर ही आधारित था। अतः उसने अपने जीवन में न कभी उत्तम वस्त्र धारण किए थे और न ही अत्यंत स्वादिष्ट भोजन किया था। पान-सुपारी आदि की तो बात ही दूर है। इस प्रकार निरंतर दुःख सहने के कारण उसका शरीर बड़ा दुबला-पतला हो गया था।

उन्होंने 1994 में पुणे विश्वविद्यालय से स्वर्ण पदक विजेता के रूप में अपनी इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियरिंग स्नातक की डिग्री पूरी की, और फिर भारतीय विद्यापीठ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, पुणे के प्राध्यापक के रूप में दो साल तक काम किया।