अध्याय 154
1 [व]
एवम उक्त्वा कुरून सर्वान भीष्मः शांतनवस तदा
तूष्णीं बभूव कौरव्यः स मुहूर्तम अरिंदम
“Narada said, ‘King Yayati then, desirous again of disposing of hisdaughter in Swayamvara, went to a hermitage on the confluence of theGanga and the Yamuna, taking Madhavi with him on a chariot, her persondecked with garlands of flowers.
“Sanjaya said, ‘Then Partha, with a cheerful soul and joined hands andeyes expanded (in wonder), gazed at the god having the bull for his markand who was the receptacle of every energy.
1 [वै]
अथाब्रवीन महावीर्यॊ दरॊणस तत्त्वार्थ दर्शिवान
न तादृशा विनश्यन्ति नापि यान्ति पराभवम
भगवान शंकर को पति के रूप में पाने हेतु माता-पार्वती कठोर तपस्या कर रही थी। उनकी तपस्या पूर्णता की ओर थी। एक समय वह भगवान के चिंतन में ध्यान मग्न बैठी थी। उसी समय उन्हें एक बालक के डुबने की चीख सुनाई दी। माता तुरंत उठकर वहां पहुंची। उन्होंने देखा एक मगरमच्छ बालक को पानी के भीतर खींच रहा है।
“Vaisampayana said, ‘Hearing these various speeches, Dhritarashtra said,The learned Bhishma, the son of Santanu, and the illustrious Rishi Drona,and thyself also (O Vidura), have said the truth and what also is mostbeneficial to me. Indeed, as those mighty car-warriors, the heroic sonsof Kunti.
Janamejaya said, “O holy one, after my great-grandfather Partha had goneaway from the woods of Kamyaka, what did the sons of Pandu do in theabsence of that hero capable of drawing the bow with his left hand?
“Uma said, ‘O holy one, O Lord of all beings, O thou that art worshippedby the deities and Asuras equally, tell me what are the duties andderelictions of men.
बीरबल बुद्धिमान तो थे किंतु रूपरंग में कुछ खास न थे| एक दिन दरबार में सुंदरता की बात चल पड़ी तो मुल्ला दोप्याजा ने बीरबल को नीचा दिखाने के उद्देश्य से कहा – “बीरबल जब भगवान सुंदरता बांट रहा था तो तुम कहां थे?”
आसमान पर काले घने बादल घिर आए थे| मैना जल्दी से उठकर अपने घोंसलें में पहुँचना चाहती थी| अंधेरा भी हो चला था और उसका घोंसला अभी दूर था| मौसम खराब होता देख उसने नीम के एक पेड़ पर रुकने का फैसला किया| उसी पेड़ पर बहुत से कौए भी थे| जैसे ही उन कौओं की नज़र उस मैना पर पड़ी तो वे ‘काँव-काँव’ करते हुए मैना पर टूट पड़े और कहने लगे, ‘हमारे पेड़ से भाग जाओ|’