51a. Adh-Dhariyat (1 to 50)
By those that winnow with a winnowing, And those that bear the burden ( of the rain ), And those that glide with ease ( upon the sea )…
By those that winnow with a winnowing, And those that bear the burden ( of the rain ), And those that glide with ease ( upon the sea )…
Qaf . By the glorious quran_en , Nay , but they marvel that a warner of their own hath, When we are dead and have become dust ( shall we be …
साईं बाबा अपने शिष्य के साथ बैठे आध्यात्मिक विषय पर बातें कर रहे थे कि तभी एक बूढ़ा व्यक्ति रोता-पीटता आया और हाथ जोड़कर साईं बाबा के सामने आकर जोर-जोर से रोने लगा|
O ye who believe! Be not forward in the presence of Allah
and His messenger , and keep your duty to Allah . Lo! …
Lo! We have given thee ( O Muhammad ) a signal victory , That Allah may forgive thee of thy sin that which is past , And that Allah may help thee with strong help…
पानीपत के युद्धक्षेत्र की कहानी है| एक ओर मैदान में आक्रमणकारी अहमदशाह अब्दाली की फौज खड़ी थी और दूसरी ओर सामने मराठों की फ़ौज थी|
Those who disbelieve and turn ( men ) from the way of
Allah , He rendereth their actions vain …
एक बार की बात है – बाबा के एक भक्त ने बाबा की अनुपस्थिति में अन्य लोगों के सामने एक दोस्त की बात निकलते ही उसे भला-बुरा कहना शुरू कर दिया| उसके शब्द इतने बुरे थे कि उससे सभी को घृणा हुई| ऐसा देखने में आता है कि बिना वजह निंदा करने से विवाद ही पैदा होते हैं| पर ऐसे व्यक्ति को सही मार्ग पर लाने की बाबा की प्रणाली बड़ी विचित्र थी|
Ha . Mim ., The revelation of the Scripture from Allah the Mighty , the , We created not the heavens and the earth and all that is …
साठे मुम्बई के प्रसिद्ध व्यापरी थे| एक बार उन्हें अपने व्यापार में बहुत हानि उठानी पड़ी, जिससे वे बहुत उदास-निराश हो गये| उनके मन में घर-बार छोड़कर एकांतवास करने के विचार पैदा होने लगे| साठे की ऐसी स्थिति देखकर उनके एक मित्र ने उनसे कहा – “साठे ! तुम शिरडी चले जाओ और वहां पर कुछ दिन साईं बाबा की संगत में रहो| सत्संग में रहकर व्यक्ति निश्चित हो जाता है और साईं बाबा तो वैसी भी साक्षात् ईशावतार हैं| आज तक बाबा के दरबार से कोई भी निराश होकर नहीं लौटा है| इसलिए लोग बड़ी दूर-दूर से उनके दर्शन करने के लिये शिरडी जाते हैं| यदि मेरी बात मानो तो तुम भी एक बार शिरडी जाकर देख लो| यदि बाबा चाहेंगे तो तुम्हारी भी झोली भर देंगे|”