Home2010August

एक बार बापू साहब बूटी शिरडी आये हुए थे| तब एक दिन उनसे बाबा साहब डेंगले जो ज्योतिष विद्या के जानकर भी थे, ने बापू साहब बूटी से कहा – “आज का दिन आपके लिए बहुत घातक है| आपके जीवन पर कोई संकट आ सकता है| सावधान रहिये|” इस बात को सुनकर बापू साहब उदास और बेचैन हो गये कि अब क्या होगा?

साईं बाबा के एक भक्त केपर गांव में रहते थे, उनका नाम गोपालराव गुंड था| उन्होंने संतान न होने के कारण तीन-तीन विवाह किये, फिर भी उन्हें संतान सुख प्राप्त न हुआ| अपनी साईं भक्ति के परिणामस्वरूप उन्हें साईं बाबा के आशीर्वाद से एक पुत्र संतान की प्राप्ति हुई| पुत्र संतान पाकर उनकी खुशी का कोई ठिकाना न रहा|

शिरडी में जिस तरह रामजन्म उत्सव मनाया जाता, वैसे ही कृष्ण जन्मोत्सव भी मनाया जाता था| पालना बांधकर कृष्ण जन्मदिन बड़ी धूमधाम से, हँसते गाते, नाचते-भजन-कीर्तन करते हुए मनाया जाता| आस-पास के गांवों से भी लोग इस उत्सव को देखने के लिए आते थे|

बाबा केवल यही चाहते थे कि सबका भला हो| बाबा अपने पास आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सत्य-मार्ग पर चलने के लिए कहते| अच्छाई करने के लिए सबको प्रेरित करते| जो भी व्यक्ति अच्छाई की राह पर चलता, बाबा उसका हौसला और बढ़ाते|

राई दो रंगों में मिलती है – लाल और सफेद| दोनों बहुत गुणकारी एवं अग्नि प्रदीप्तकारी हैं| राई के सेवन से पेट की अग्नि तीव्र होती है जो भोजन पचाने में सहायता करती है| यह पेट के कीड़े मारती है और खाज-खुजली को नष्ट करती है| यह खाने में कुछ तेज तथा चरपरी-सी होती है|

ठीक उसी समय मस्जिद में घंटी बजने लगी| बाबा के भक्त रोजाना दोपहर को बाबा की पूजा और आरती करते थे| यह घंटी दोपहर की पूजा-आरती की सूचक थी| शामा और हेमाडपंत तेजी से मस्जिद की ओर चल पड़े| बापू साहब जोग पूजन शुरू कर चुके थे| सभी आरती गा रहे थे| शामा हेमाडपंत का हाथ पकड़कर बाबा के दायीं ओर बैठ गये, जबकि हेमाडपंत सामने बैठ गये|