Homeतिलिस्मी कहानियाँ30 – बाढ़ का कहर | Baad ka Keher | Tilismi Kahaniya

30 – बाढ़ का कहर | Baad ka Keher | Tilismi Kahaniya

तभी नील उन सब के पास जाता है और एक एक को सूँघता है। और तुरंत ही करण के सारे मित्रों को वापस होश में ले आता है।

करण- “वाह! ये सभा तो वापस होश में आ गए।आपका बहुत बहुत धन्यवाद!”

नील- ” मुझे अपने किये पर बहुत शर्मिंदगी हो रही है! शुक्र है ये सब होश में आ गए!”

बुलबुल- ” कोई बात नहीं मित्र हमें पता है कि यह सब आप ने जानबूझ कर नहीं किया,।!”

नील- “हां मैं इतना बुरा राक्षस भी नहीं हूं!’

करण- “हम जानते हैं। आप उस शक्तिशाली जादूगर के वश में थे और वही आप से ये सब गलत कार्य करवा रहा था!’

कुश- ” हां आप को तो याद भी नहीं होगा कि आप ने क्या क्या किया?”

चिड़िया- ” इस में आप की कोई गलती नहीं है!”

नील- ” आप सभी बहुत ही नेक दिल हैं… मैंने आप सभी के साथ इतना बुरा किया… फिर भी आप लोगों ने इतनी जल्दी मेरे बुरे कार्यों को भुला दिया!”

टॉबी- ” हम आप की परेशानी को समझ सकते हैं!”

बोलने वाला जीव क्या बात है। नील टॉबी को गोदी मे उठाता है और उसे प्यार करता है।

नील- “बड़ा प्यारा है ये,,,, और बातें भी बड़ी प्यारी प्यारी करता है!”

चिड़िया- “अच्छा,,, तो हमें अब यहां से चलना होगा,,,,!”

नील- “हाँ, राजकुमारी जी,, अब आप लोग यहां से जाइये,,,, मैं दुआ करता हूं कि आप का यह सफर जल्द ही पूरा हो जाए और आप को सफलता मिले!”

बुलबुल- ” बहुत-बहुत शुक्रिया आप का!”

कुश- “प्रणाम,,, अब हम यहां से चलते हैं!”

लव- “हाँ भाई!”

और फिर सभी लोग वहां से चले जाते हैं लेकिन थोड़ी ही आगे चलने पर वधिराज को रानू की रोने की आवाज सुनाई देती है।

वधिराज- ” अरे यह आवाज तो रानू की है। मुझे लगता है वह जरूर किसी मुसीबत में है!”

सुनहरी चिड़िया (घबरा कर)- “लगता है कुछ गड़बड़ हुई है,,, यह जादूगर अपने अड्डे पर बैठा हुआ हम सभी पर नजर रख रहा है और धीरे-धीरे हम सब पर परेशानी डाल रहा है!”

करमजीत- “हां ताकि हम लोग जल्दी उस के अड्डे तक ना पहुंच पाए…. और ना ही आप का श्राप टूट पाए!”

बुलबुल- ” राजकुमारी जी। आप चिंता ना करें। बुराई कितनी भी बड़ी क्यों ना हो लेकिन अच्छाई के सामने हमेशा छोटी ही होती है,,,,,,

टॉबी- “हां हम वहां पर पहुंच कर उस जादूगर का खात्मा कर देंगे!”

लव- ” हां बुलबुल तुम सही कहती हो, जिस ने हम सभी को इतना परेशान किया है और राजकुमारी को इतने सालों तक तड़पने के लिए मजबूर किया…. उसे यही दंड मिलना चाहिए!”

वधिराज- “हाँ,,, चलो अब चलते हैं,,,,, और उस आवाज की तरफ बढ़ते हैं!”

तो जल्दी से सभी लोग उस आवाज की तरफ़ बढ़ते हैं.. और सभी लोग वहां पहुंचते हैं

करमजीत- “सामने तो कोई गांव नजर आ रहा है!”

चिड़िया- “हां बहुत से लोग भी दिख रहे हैं!”

वधिराज- “और रानू की आवाज भी यहीं से आ आ रही है!”

करण- “चलो जल्दी उस तरफ। वहां काफी भीड़ लगी है!”

आगे जा कर जो नजारा वे देखते हैं, उस से सब एकदम दंग रह जाते हैं क्योंकि वहां का माहौल बेहद पेचीदा था….

लव- “हे भगवान यह सब क्या हो रहा है?”

बुलबुल- “इन लोगों ने रानू को बीच चौराहे में रस्सियों से बांध दिया है और अब गाँव के लोग उस पर पत्थरों से वार करने वाले हैं।”

वधिराज- “हमे उन्हें रोकना होगा! वरना वो रानू को मार देंगे”

करण- ” अरे गांव वालों आप सभी इस के साथ ऐसा क्यों कर रहे हो?..आप जानते भी हो यह कौन है? ”

रानू- “वधिराज,, करण,, तुम सब आ गए… मेरी रक्षा करो, ये मुझे मार डालेंगे।!”

गांव का आदमी 1- “क्यों??? तुम कौन हो? और तुम इस का साथ क्यों दे रहे हो भला? तुम जानते भी हो कि इस ने हमारे साथ क्या किया है?”

करण- ” नाराज मत होइए आप सब,,,, क्या बात है हमें बताइए!”

आदमी 2- ” यह चुड़ैल हमें कुछ समय पहले ही यहां मिली है… इस चुड़ैल पर सब से पहली नजर मेरी ही गई थी… मैंने देखा कि यह गांव के 2 लोगों के ऊपर हमला कर रही है और.. जब मैं बचाने गया तो इस ने उल्टा मुझ पर ही हमला किया…

आदमी 3- “अब तुम ही बताओ कि जो हमारे गांव के लोगों को नुकसान पहुंचायेगा.. हम उसे भला ऐसे कैसे जाने दे सकते हैं।!”

करमजीत- “रानू ! आखिर आप यहां तक कैसे आ गयी!”

रानू- “दरअसल मैं वधिराज से मिलने के लिए आई थी लेकिन बीच में अचानक मुझे बेहोशी छा गयी। और ज़ब होश आया तो मैंने खुद को बीच चौराहे पर रस्सीयों से बंधा हुआ पाया…..।”

करण- “लेकिन गांव वाले कह रहे हैं कि आप ने हमला किया है उन पर!”

रानू- “नहीं। मुझे ऐसा कुछ याद नही है। सच मे। मैं बेहोश थी!’

करण- “इस का मतलब ये सब उसी जादूगर का काम है।”

चिड़िया- “हां करण। उस ने रानू को वश में किया होगा। इसलिए रानू को कुछ याद नही आ रहा है!”

करण- “पर हम अभी गांव वालों को यह नही समझा सकते! करमजीत तुम कुछ और समझाओ इन को”

करमजीत- “देखिए। यह रानू है हमारी मित्र। ये ऐसा जानबूझ कर नहीं कर सकती है!’

आदमी 1- “मित्र?????? तो क्या तुम लोग भी दानव हों?”

कुश- “नहीं,,,, नही। हम इंसान हैं !”

आदमी 2- “ये सब लोग दुष्ट है गांव वालों। इन से बच कर रहना!”

करण- “नही भाई।”ऐसा बिकुल भी नहीं है।

आदमी 3- “तुम सभी लोग अपनी बकवास बंद करो और हमारा साथ दे कर साबित करो कि तुम अच्छे लोग हो!!”

सभी गाँव वासी काफी आक्रोश में थे क्योंकि रानू ने उन पर हमला किया था… उन सभी को रानू से खतरा लग रहा था तो अब वे लोग उस को मारने की सोच रहे थे।

शुगर- ” ऐसा मत करो, उसे जाने दो!”

चिड़िया- ” गांव वालों रानू ऐसी नहीं है ! इसे छोड़ दो!”

शुगर और चिड़िया को बोलता देख गांव वालों को बहुत हैरानी होती है

आदमी 1- “अरे ये जानवर तो बोल रहे हैं!”

आदमी 2- “ये कैसी माया है!

आदमी 3- “हो ना हो ये भी इस राक्षसी की तरह ही है। ये हमे मारने के लिए आये हैं।”

करण- ” नहीं नहीं ! ऐसा मत करो! यह लोग बहुत अच्छे हैं! हम आप को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं आए हैं!”

आदमी 1- “अच्छा और तुम्हें क्या लगता है हम तुम्हारे इस झूठ का यकीन कर लेंगे। तुम्हें हम सब पागल लगते हैं क्या??”

करमजीत- ” ऐसी गलती मत करना। मैं आप से हाथ जोड़ कर विनती करता हूं!”

आदमी 2- “अच्छा हम कुछ ना करें और तुम हमें मार दो??”

करमजीत- ” मुझे गुस्सा मत दिलाओ! वरना मजबूर हो कर अपने दोस्तों की जान बचाने के लिए मुझे आप पर हमला करना पड़ेगा!”

आदमी 3- ” देखा यह है इन का असली रूप। गांव वालों, यह हमें मारने ही आए हैं!”

करण- ” नहीं हम आप को मारने नहीं आए हैं लेकिन अगर आप हमारे दोस्तों को नुकसान पहुंचाएंगे तो चुपचाप हम भी नहीं देखेंगे। आप हमारी बात पर यकीन क्यों नहीं कर रहे ??”

आदमी 1- ” ऐसे राक्षस तुम्हारे मित्र हैं और तुम्हारे साथ के ये जानवर बोलते भी हैं और तुम कहते हो कि हम यकीन कर ले??”

करण- ” हम जादुई दुनिया से आए हैं इसलिए ऐसा हो रहा है!”

गाँव की औरत 1- ” अरे गांव वालों देखते क्या हो? इन लोगों को भी बंदी बना लो,,,, देखो यह जानवर बोल रहा है तो ये सब लोग भी दानव है,,,,

औरत 2- “हां जल्दी से बंदी बना लो। नहीं तो यह लोग हम सब को भी मार कर खा जाएंगे!”

सभी गांव वाले- ” बन्दी बना लो… बन्दी बना लो!”

करण- “स्थिति खराब हो रही है यहां। ये सब नही समझ रहे!”

लव- “हाँ,,,!”

कुश- ” अब क्या होगा भाई? ”

करण- “तुम, चिंता मत करो,,, हिम्मत रखो!,,, हम इन्हे समझाने का प्रयास करते हैं”

और सभी लोग गाँव वासियों को बहुत समझाने का प्रयास करते हैं… सारी सच्चाई बताते हैं। परंतु वे लोग उन की बातों पर यकीन नहीं करते।

करमजीत- “करण,, अब क्या करें? हम इन सब पर हमला भी नहीं कर सकते हैं,, और ना ही ये हमारी बातें मान रहे हैं!”

करण- “हे ईश्वर। कोई रास्ता दिखाइए प्रभु! रक्षा कीजिये। क्या करें हम।”

और तभी अचानक से गाँव के नदी का बांध टूट जाता है और बहुत बड़ी पानी की लहर उन सब की तरफ बढ़ने लगती है…..

लव- “इतनी बड़ी लहर!”

गाँव का आदमी 1- “लगता है बांध टूट गया!”

कुश- “अब तो सब मरेंगे!”

गांव वाले- “भागो सब। बचाओ खुद को!”

बुलबुल- ” हे भगवान! अब यह क्या अनहोनी हो गई? ”

चिड़िया- “वधिराज,,, हम सब की रक्षा करो!”

वधिराज- “जी राजकुमारी !”

और तभी वधिराज अपने शरीर का आकार बेहद विशाल कर लेता है,,, और करण को छोड़ कर अपने सभी मित्रों और गांव के कुछ बच्चों को अपनी पीठ पर बैठा कर दूसरी जगह ले जाता है।

करण- “आप सब डरिये मत। मैं आप की रक्षा के लिए ही हूँ!”

आदमी 1- “लेकिन तुम करोगे क्या??

करण- “जब तक वधिराज आप सब को यहां से सुरक्षित जगह पर नही ले जाता, तब तक मैं इस लहर को रोक कर रखूंगा!”

तभी करण अपनी जादुई अंगूठी का इस्तेमाल कर के एक आवरण पैदा कर लेता है जिस से पानी उन गांव वालों की तरफ नहीं बढ़ता।

तभी वधिराज धीरे-धीरे सारे गांव वासियों को उस जगह से दूसरी जगह ले जा कर रख देता है।

अब लगभग सारे गांव वासियों की जान बच चुकी थी,, लेकिन करण उस आवरण को बनाए हुए थक चुका था क्योंकि काफी समय से वह उसी स्थिति में था।

करण- “वधिराज,, हमारी सहायता करो। अब हम ज्यादा देर ऐसे नहीं रह सकते!”

वधिराज- ” मैं आ रहा हूँ करण!”

करण- “वधिराज। कोई यहाँ रह तो गया हैं ना??।”

वधिराज- “नही करण। कोई नही है। बस रानू है और तुम। अब मैं तुम दोनों को भी ले चलता हूँ!’

तभी वधिराज आखिर में करण और रानू को भी सुरक्षित जगह ले जाता है।

आदमी 1- ” हे भगवान !! हम से बहुत बड़ी भूल हो गई। हम ने इन अच्छे इंसानों पर शक किया और उन्हें मुसीबत में डाला!”

आदमी 2- ” हां तुम सही कहते हो भाई! हमें सभी से माफी मांगनी चाहिए!”

आदमी 3- “हमारा गांव डूब गया, लेकिन हम सब बच गए!”

आदमी 1- “अगर ये लोग ना होते तो हम कभी बच नहीं पाते!”

औरत 1- ” बच्चों हमें क्षमा कर देना। हम सभी से बहुत बड़ी भूल हो गई है.. हम सभी ने आप सभी को समझने में गलती कर दी!”

औरत 2- “हाँ बच्चों,,, हम सभी को क्षमा कर दो!”

कर्मजीत- “ऐसी कोई बात नहीं…आप सभी का दर्जा हम से काफी ऊंचा है और इस तरह क्षमा मांग कर हमे शर्मिंदा ना करिए माता!”

औरत- ” पुत्र! तुम तो बहुत ही अच्छी बातें करते हो,, और तुम ने हमें माता कहा… हमें बहुत प्रसन्नता हुई!”

और इसी के साथ गांव वालों की गलतफहमी दूर हो जाती है।

तो अगले एपिसोड में हम देखेंगे करण और उसके दोस्तों का आगे का मज़ेदार सफर।तब तक के लिए बने रहिये हमारे साथ।

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